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करने के पश्चात् थोड़ा सा झुकने से जो मुद्रा बनती है, उसे समर्पण मुद्रा कहते हैं ।
प्र. 346 मंदिर में अखण्ड दीपक क्यों ?
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1. दीपक में प्रज्वलित ज्योत एक प्रकार की अग्नि है और अग्नि स्वयं शुद्ध है । जो कोई भी अग्नि के सम्पर्क में आता वह भी शुद्ध बन
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जाता है । जैसे-सोना । शुद्धता की अपेक्षा से ।
2. रात्रि वेला में देवतागण भी जिन मंदिर, ध्यान और परमात्मा की भक्ति हेतु पधारते है | देवता सदैव पवित्र और शुद्ध स्थान पर ही निवास करते है । दीपक में जलती ज्योत अग्नि स्वरुप होने से शुद्ध
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व पवित्र होती है इसलिए उसी ज्योत में स्थित होकर देवता परमात्म भक्ति करते है । इन कारणों से अखण्ड दीपक मंदिर में किया जाता है।
प्र. 347 क्या देवता दीपक की ज्योत में निवास करने से जलते नहीं है ? नहीं, देवता का शरीर वैक्रिय पुद्गलों से बना होता है जो अग्नि के सम्पर्क से जलता नहीं है ।
उ.
प्र. 348 घी के दीपक के परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिकों की क्या राय है ?
उ.
घी के दीपक के समक्ष अणु बम्ब की विस्फोटक शक्ति भी शुन्य हो जाती है इतनी शक्ति घी के एक दीपक में होती है ।
प्र. 349 चतुर्दल मुद्रा किसे कहते हैं ?
उ.
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चावलों को दायें हाथ में लेकर पांचों अंगुलियों को परमात्मा के सामने रखकर बायें हाथ के पंजे को दायें चावल वाले हाथ के नीचे तिरछा (आडा) रखने से जो मुद्रा बनती है, उसे चतुर्दल मुद्रा कहते हैं ।
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चतुर्थ पूजा त्रिक
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