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________________ उ. जिस प्रकार जल से शरीर की शुद्धि होती है, उसी प्रकार जल पूजा के फलस्वरुप मेरी आत्मा पर लगा हुआ कर्मों का कचरा, मल आदि गंदगी नष्ट हो जाये। प्र.333 पंचामृत किसे कहते है ? उ. दूध, दही, घी, शक्कर और जल के मिश्रण को पंचामृत कहते है। गाय . का दूध 50%, निर्मल पानी 25%, दही 10%, घी 5% तथा शक्कर 10% = 100% । प्र.334 परमात्मा का पंचामृत से अभिषेक किस उद्देश्य से करते है ? उ. पंच महाव्रतों (संयम जीवन) की प्राप्ति हेतु पंचामृत से अभिषेक करते है। परमात्मा के समक्ष मस्तक झुकाकर नम्र हृदय से अभिषेक करने से अनादि काल से आत्मा से जुड़े अंहकार भाव गलते है। प्र.335 चंदन पूजा के समय मन में क्या भावना भानी चाहिए ? उ. विषय कषाय की अग्नि में धधक रही मेरी आत्मा चंदन के समान शीतल एवं सुगन्धित बने, यह प्रार्थना परमात्मा के समक्ष करनी चाहिए । प्र.336 पुष्प पूजा क्यों की जाती हैं ? उ. पुष्प पूजा के समान मेरी आत्मा मिथ्यात्व रुपी दुर्गंध से मुक्त होकर . सम्यक्त्व की सुवास को प्राप्त करें, इसलिए पुष्प पूजा की जाती हैं। प्र.337 पुष्प पूजा कौनसी मुद्रा में की जाती हैं ? उ. अर्ध खुली अंजली मुद्रा में। प्र.338 पुष्प पूजा में कौनसे पुष्प परमात्मा के चरणों में अर्पण, होते है ? उ. ऐसे भव्य पुष्प जिनकी मोहनीय कर्म की 70 कोडाकोड़ी सागरोपम की स्थिति में से मात्र 1 कोड़ाकोड़ी सागरोपम जितनी स्थिति शेष रही हैं, ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 82 चतुर्थ पूजा त्रिक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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