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________________ उ. मेरे भीतर की वासना का क्षय हो और मेरी वाणी भी आपके समान पर हितकारी बने । प्र.326 हृदय स्थान पर कौन सा चक्र होता है ? उ. अनाहत चक्र । . प्र.327 अनाहत चक्र के ध्यान से क्या लाभ होता हैं ? उ. हृदय कोमल बनता है, जिसके फलस्वरुप संसार की समस्त आत्माओं के प्रति मैत्री भाव, करुणा भाव उत्पन्न होते हैं । प्र.328 परमात्मा के हृदय की पूजा क्यों की जाती हैं ? उ. परमात्मा उपकारी और अपकारी समस्त जीवों के प्रति समान भाव रखते है, किंचित मात्र भी उनके प्रति राग-द्वेष भाव नहीं रखते है । सृष्टि के प्राण मात्र के प्रति करुणा भाव रखने के कारण ही परमात्मा के हृदय की पूजा की जाती हैं। प्र.329 नाभि-स्थान पर कौनसा चक्र होता हैं ? उ. मणिपूर चक्र। प्र.330 मणिपूर चक्र का ध्यान किस उद्देश्य से किया जाता हैं ? उ. आत्म साक्षात्कार के उद्देश्य से । प्र.331 नाभि की पूजा किस प्रयोजन से की जाती हैं ? उ. . नाभि में जो आठ रुचक प्रदेश हैं, वे कर्म रहित है । उन आठ रुचक प्रदेश की भाँति ही मेरी आत्मा के समस्त प्रदेश कर्म रहित, शुद्धत्तम बनें और अपने मूल स्वरुप को प्राप्त करे, इसी प्रयोजन से नाभि की पूजा की जाती है। प्र.332 परमात्मा की जल पूजा क्यों की जाती हैं ? +44 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 of off of of of of of ofo of of ofo ofo of ofo ofo of of ofo of ofo of ofo of offt चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 81 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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