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________________ उ. परमात्मा की प्रतिमा के अंगों को स्पर्श करके जो पूजा की जाती है, उसे अंग पूजा कहते है। प्र.246 अंग पूजा के अन्तर्गत कौन-कौनसी पूजाएं आती है ? उ. जल पूजा (पंचामृत से अभिषेक, प्रक्षाल), विलेपन, वासक्षेप पूजा, चन्दन-केसर पूजा, पुष्प पूजा, आंगी, आभूषण आदि पूजाएं आती है । प्र.247 अग्र पूजा किसे कहते है ? उ. गर्भद्वार (मूल गंभारे) के बाहर परमात्मन् प्रतिमा का स्पर्श किये बिना उत्तमोत्तम द्रव्यों को प्रभु के समक्ष अर्पण कर (चढ़ाकर) जो पूजा की जाती है, उसे अग्र पूजा कहते है। प्र248 अग्र पूजाओं के नाम बताइये ? उ. धूप पूजा, दीपक पूजा, अक्षत पूजा, नैवेद्य पूजा, फल पूजा, चामर, गीत, ' नृत्य, वाजिंत्र, आरती, मंगल दीपक आदि अग्र पूजा है । प्र.249 अंग पूजा का अपर नाम क्या है ? उ. 'समन्तभद्रा' है। 1250 अंग पूजा को 'समन्तभद्रा' क्यों कहा जाता है ? उ. यह पूजा पूजक का सर्व प्रकार का कल्याण करती है, चित्त (मन) को प्रसन्न करती है अत: अंग पूजा को समन्तभद्रा पूजा कहते है। '.251 कौनसी पूजा को विघ्नोपशमनी पूजा कहते है और क्यों कहते है ? ... अंग पूजा को विघ्नोपशमनी पूजा कहते है, क्योंकि इस पूजा से पूजक ... के जीवन में विघ्न नाश होते है । प्र.252 कौनसी पूजा को वैराग्य कल्पलता नामक ग्रंथ में 'सर्वभद्रा' नाम से सम्बोधित किया है ? ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 63 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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