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________________ आदि धर्मयोग, इच्छायोग कहलाता है । जहाँ क्रिया शुद्धि की अपेक्षा धर्म प्रवृत्ति की इच्छा को प्रधानता दी जाती है, क्रि या चाहे अशुद्ध हो, धर्म प्रवृत्ति इच्छा योग कहलाती है । वह प्र. 234 शास्त्र योगं नमस्कार किसे कहते है ? उ. शास्त्रयोगस्त्विह ज्ञेयो, यथाशक्त्य प्रमादिनः । श्राद्धस्य तीव्रबोधेन, वचसाऽविकलास्तथा ॥ धर्म पर अटूट श्रद्धा से शास्त्र कथित आसन, मुद्रा, काल आदि सम्पूर्ण विधि से किया जाने वाला नमस्कार, शास्त्र योग नमस्कार कहलाता है। प्र. 235 कौनसे मुनि द्वारा कृत नमस्कार शास्त्र योग नमस्कार होता है ? उ. 'जिनकल्पी मुनि' कृत नमस्कार शास्त्र योग नमस्कार होता है । प्र. 236 सामर्थ्य योग नमस्कार किसे कहते हैं ? उ. 'शास्त्र संदर्शितोपायस्तदतिक्रान्त गोचरः । शक्त्यद्रेकाद्विशेषेण सामर्थ्याखोऽयमुत्तमः ॥' 60 अर्थात् शास्त्र में बताये उपायों से विशेष प्रकार का अनुपम सामर्थ्य प्रकट करके जो नमस्कार किया जाता है, वह सामर्थ्य योग नमस्कार कहलाता हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only तृतीय प्रणाम त्रिक www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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