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________________ 12. अवच्चामेलियं (अव्यत्यानेडित) - संपदा प्रमाण बोलना अर्थात् विराम (विश्राम) के स्थान पर ही रुकना, अन्य स्थान पर नही। 13. प्रतिपूर्ण - अनुस्वार, मात्रा, छन्द आदि का ध्यान रखते हुए शुद्धोच्चारण करना। 14. प्रतिपूर्ण घोष - उदात, अनुदात आदि घोष से उच्चारण करना । 15. कंठोट्ठविप्पमुक्कं (कंण्ठोष्टविप्रमुक्त) - कण्ठ और होठ से स्पष्ट उच्चारण करना, बालक समान अस्पष्ट उच्चारण नही करना । 16. गुरूवायणोवगय (गुरूवाचनोपगत) - सूत्र गुरू म. से सीखे हुए हो। प्र.144 आगम वचनों के प्रकारों के नाम बताइये ? उ. तीन प्रकार - 1. अर्थ आगम 2. ज्ञान आगम 3. शब्द आगम । प्र.145 अर्थ आगम किसे कहते है ? उ. पाप त्याग प्रतिज्ञा स्वरुप आत्मपरिणति आदि पदार्थों का उपदेश जो आगम वचन करते है, उन्हें अर्थ आगम कहते है। . प्र.146 ज्ञान आगम किसे कहते है ? उ. आगमोक्त पदार्थों का ज्ञान, ज्ञान आगम कहलाता है। प्र.147 'शब्द आगम' वचन किसे कहते है ? उ. आगम के शब्द यानि उन अर्थों की 'वाचक ध्वनि' शब्द आगम कहलाती है। ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 38 आगमों के भेद-प्रभेद Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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