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________________ परिमाण संख्या कहते है। विपरित क्रम से उद्देशक, अध्ययन, श्रुत स्कन्ध और शास्त्र - अनेक सूत्र, गाथा या श्लोकों के समुह को उद्देशक कहा जाता है, अनेक उद्देशकों का समुह अध्ययन, कई अध्ययनों का समुदाय श्रुत स्कन्ध और दो या अधिक श्रुत स्कन्ध के समुदाय को शास्त्र कहा जाता है। 15. प्रकरण सूत्र - जिनमें स्वसमय (अपने सिद्धान्तों के अनुसार आक्षेप __ और निर्णय) प्रसिद्धि वर्णित हो । . प्र.135 निम्न शब्दों को परिभाषित कीजिए ? उ. उद्देश - सर्वप्रथम शास्त्र पढने के लिए शिष्य गुरू म. से आज्ञा मांगता. है, तब गुरू म. उपदेश या प्रेरणा देते है, मार्ग दर्शन करते है । शास्त्र पाठ-पठन की विधि बतलाते है, यह उद्देश कहा जाता है । समुद्देश -पढे हुए आगम का, श्रुतज्ञान का उच्चारण कैसे करना, कब करना, उसके हीनाक्षर आदि दोषों का परिहार करके बार-बार स्वाध्याय की प्रेरणा देना ताकि पढ़ा हुआ श्रुतज्ञान स्थिर रह सके, यह समुद्देश है। अनुज्ञा - पढे हुए श्रुतज्ञान को अपने हृदय में, स्मृति में, संस्कारबद्ध करके धारणा करना और फिर दूसरों के उपकार के लिए उसका अध्ययन कराने की प्रेरणा देना, अनुज्ञा है। अनुयोग - आचार्य जिनभद्रगणि अनुसार "अणु ओयण मणुओगो सुयस्स नियएण जमभिहेएण" अर्थात् श्रुत के नियत अभिधेय को समझने के लिए उसके साथ उपयुक्त अर्थ का योग करना, अनुयोग ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 34 आगमों के भेद-प्रभेद Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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