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________________ 2. संघात - दो-तीन आदि अक्षरों के संयोग को संघात कहते है। उनकी ____ संख्या को संघात संख्या कहते है। 3. पद - जिस शब्द के अन्त में स्यादि विभक्ति (सुबन्त) और तिबादि धातु (तिगन्त) पद हो, जहाँ अनेक शब्दों का अर्थ पूर्ण विवक्षित होता है, उसे पद कहते है। 4. पद संख्या - स्यादि विभक्ति और तिबादिं धातु पद जिसके अंत ___ में हो ऐसे पदों की संख्या, पद संख्या है। 5. पाद - श्लोकादि का चतुर्थांश (चौथा भाग (1/4)) को पाद या चरण कहते है। 6. गाथा - प्राकृत भाषा में निर्मित छंद विशेष को गाथा कहते है। 7. उद्देशक - अध्ययनों के अंश विशेष अथवा एक दिन की वाचना विभाग को उद्देशक कहते है। अथवा एक अध्ययन के अनेक विषयों ___ के छोटे- छोटे उपविभाग उद्देशक कहे जाते है। 8. अध्ययन - शास्त्र के एक विभाग विशेष को अध्ययन कहते है। ... 9. श्रुत स्कन्ध - अध्ययनों के समूह रुप शास्त्रांश को श्रुत स्कन्ध कहते 10. पर्यव संख्या - पर्यव, पर्याय अथवा धर्म और उसकी संख्या को पर्यव संख्या कहते है। 11. श्लोक संख्या - अनुष्टुपादि श्लोंको की संख्या, श्लोक संख्या है। 12. वेष्टक संख्या - वेष्टकों (वेढा छंद विशेष) की संख्या, वेष्टक . ..संख्या कहलाती है। . 13. नियुक्ति - शब्द और अर्थ की सम्यक् योजन नियुक्ति है। 14. कालिक श्रुत परिमाण संख्या - जिसके द्वारा कालिक श्रुत के श्लोकादि के परिमाण का विचार किया जाता है, उसे कालिक श्रुत ...... ++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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