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________________ परमात्मा का आत्मागम है, क्योंकि वह उनका स्वयं का है। प्र.102 अनन्तरागम किसे कहते है ? उ. जो बिना अन्तर के, गुरू आदि से सीधा प्राप्त किया हो, वह अनन्तरांगम है । तीर्थंकर परमात्मा का अर्थागम (आत्मागम) गणधरों के लिए अनन्तरागम कहलाता है, क्योंकि गणधर भगवंत उसे तीर्थंकर परमात्मा से - ग्रहण करते है। गणधरों के साक्षात् शिष्यों को गणधरों से सूत्रागम सीधा ही मिलता है, अतः उन शिष्य के लिए वह सूत्रागम, अनन्तरागम कहलाता है। प्र.103 परम्परागम किसे कहते है ? उ. परम्परा से प्राप्त समस्त ज्ञान परम्परागम है । गणधरों के शिष्यों के लिए अर्थरुप आगम परम्परागम है और सूत्र रुप आगम अनन्तरागम है, और उनकी परम्परा में होने वाले अन्य शिष्य और प्रशिष्यों अर्थात् समस्त मुनियों के लिए वही सूत्रागम और अर्थागम दोनों ही परम्परागम है । प्र.104 सूत्र के पर्याय एकार्थक नाम बताइये ? उ. श्रुत, ग्रंथ, सिद्धान्त, शासन, आज्ञा, वचन, उपदेश, प्रज्ञापना और आगम। ___ अनुयोग द्वार 4, विशेषावश्यक भाष्य गाथा 8/97 । प्र.105 श्रुत पुरुष के कितने अंग होते है ? नाम लिखिए । उ. पांच अंग - 1. सूत्र (आगम) 2. नियुक्ति 3. भाष्य 4. चूर्णि 5. वृत्ति (टीका)। प्र.106 आगम पुरुष कौन कहलाते है ? उ. केवलज्ञानी, मनःपर्यवज्ञानी, अवधिज्ञानी, चतुर्दश पूर्वी और दश पूर्वी मुनि-आगम पुरुष कहलाते है.। प्र.107 सूत्र किसे कहते है ? ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 26 . आगमों के भेद-प्रभेद Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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