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________________ उ. . जो अल्प ग्रन्थ (अल्प अक्षर वाला) और महार्थ युक्त (अर्थ की अपेक्षा से महान-अधिक विस्तार वाला) हो तथा बत्तीस दोषों से रहित और आठ गुणों एवं छः लक्षणों से युक्त हो उसे सूत्र कहते है । प्र.108 सूत्र कौन से आठ गुणों से युक्त होना चाहिए ? 'निदोसं सारवंतं च हेउ जुत्त मलंकियं । उवणीयं सोवयारं च मियं महुरमेव च ॥' निम्न आठ गुणों से युक्त होना चाहिए - 1. निर्दोष - दोष रहित, अर्थात् अलीक आदि दोषों से रहित । . 2. सारवान् - सारयुक्त अर्थात् जिसके अनेक पर्याय होते है । 3. हेतु युक्त - अन्वय और व्यतिरेक हेतुओं से युक्त । 4. अलंकार युक्त - उपमा, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों से विभूषित । 5. उपनीत - उपनय से युक्त अर्थात् दृष्टान्त को दार्टान्तिक में घटित करने वाला, उपसंहार युक्त । . 6. सोपचार - भाषा के सौष्ठव व सौन्दर्य से युक्त । 7. मित्त - थोडे अक्षरों में अधिक भावयुक्त, श्लोक और पदों से परिमित। 8. मधुर - सुनने में मनोहर और मधुर वर्णों से युक्त । मधुर तीन प्रकार का होता है। .. 1. सूत्र मधुर 2. अर्थ मधुर 3. उभय मधुर। ___ वृहत्कल्प भाष्य गाथा 282 प्र.109 वृहत्कल्प भाष्यानुसार सूत्र में छः और कौनसे गुण होने चाहिए ? उ. 1. अल्पाक्षर - जिसमें अक्षर अल्प हो । 2. असंदिग्ध - सन्देह से रहित । . .++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 27 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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