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________________ प्र.1342 अभिषेक करते समय मुँह किस दिशा में और क्यों होना चाहिए ? उ. अभिषेक कर्ता का मुँह, यदि बिम्ब का मुख उत्तर की ओर है तो पूर्व दिशा में और परमात्मा का मुख पूर्व दिशा में है तो उत्तर दिशा में होना चाहिए। क्योंकि उत्तर दिशा विघ्नान्तक (विनों को नाश) होती है। पूर्व दिशा यमान्तक अर्थात् मृत्यु विजेता होती है । जबकि दक्षिण दिशा प्रज्ञान्तक और पश्चिम दिशा पद्मान्तक अर्थात् मन और मस्तिक को कमजोर करने वाली होती है । दक्षिण व पश्चिम दिशा ऋणात्मक होने से ऊर्जा का शोषण करती है, पूर्व व उत्तर दिशा धनात्मक होने से शक्ति का पोषण करती है। प्र.1343 आह्वान किसे कहते है ? उ. आह्वान यानि आमन्त्रण करना । पूजा के निमित्त इष्ट देवता को प्रतीक ___रुप में बुलाना, आह्वान कहलाता है । प्र.1344 आह्वान करते समय किस मंत्र का प्रयोग किया जाता है ? उ. देव-गुरू-शास्त्र पूजा में 'ॐ ह्रीं श्रीं देव-गुरू-शास्त्र समुह ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं ।' मंत्र का प्रयोग किया जाता है । जिसकी भी पूजा करनी होती है, उसका नाम देव-गुरू-शास्त्र के स्थान पर लेना चाहिए। प्र.1345 स्थापना से क्या तात्पर्य है ? उ. पूजन करते समय जिन पूज्य आत्माओं का आह्वान किया गया था, उन्हें ससम्मान हृदय रुपी सिंहासन पर स्थापित करना, स्थापना कहलाती है। ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 374 दिगम्बर परम्परानुसार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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