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________________ (श्लोक) व सातवीं गाथा का प्रथम चरण (पाद) होता है । दैवसिक प्रतिक्रमण में चार लोगस्स का कायोत्सर्ग होता है, अतः ofx4 = (2x4) = 25 श्लोक प्रमाण । इसी प्रकार रात्रिक प्रतिक्रमण में दो लोगस्स का कायोत्सर्ग होता है अतः 6 x 2 = (22=22-12) श्लोक प्रमाण । पाक्षिक प्रतिक्रमण में 6 x 12 = 2 x 12 = 75 श्लोक प्रमाण। चातुर्मासिक प्रतिक्रमण में 6 x 20 = = » 20 = 125 श्लोक प्रमाण । वार्षिक (संवत्सरी) प्रतिक्रमण में 40 लोगस्स का काउस्सग्ग होता है x40 = x 40 = 250 श्लोक होते है। 8 उच्छवास वाले नवकार के दो श्लोक उसमें मिलाने से 252 श्लोक होते है। 1008 पाद में 1000 पाद लोगस्स के और 8 पाद नवकार के होते है । नवकार के 8 पाद होने से उसके 2 श्लोक माने जाते है क्योंकि एक श्लोक के 4 पाद (चरण) होते है। चरण = श्लोक x4 1 चरण = 1 श्वासोश्वास चातुर्मासिक चरण = श्लोक x 4 चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी . 339 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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