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________________ उ . का कायोत्सर्ग किया जाता है। प्र.1257 राइय प्रतिक्रमण में चारित्राचार के कायोत्सर्ग में अतिचार का चिंतन न करके, ज्ञानाचार के कायोत्सर्ग में अतिचारों का चिंतन क्यों किया जाता है ? राइय प्रतिक्रमण में प्रथम चारित्राचार के कायोत्सर्ग में कदाच निद्रा का उदय संभव होने से अतिचारों का चिंतन सम्यक प्रकार से नहीं हो सकता है, इसलिए अतिचारों का चिंतन ज्ञानाचार के कायोत्सर्ग में करते है। प्रबोध टीका भाग-3, पेज 617 प्र.1258 प्रवचन सारोद्धार में प्रतिक्रमण के कायोत्सर्ग का ध्येय, परिमाण __ और कालमान क्या बताया है ? उ. प्रतिक्रमण में लोगस्स संख्या (चंदेसु निम्मलयरा तक)। क्रम प्रतिक्रमण | लोगस्स संख्या श्लोक चरण (पाद) उच्छवास | 1. दैवसिक 4 25 | 100 2.| रात्रिक . 50 300 125 500 3 | पाक्षिक 4. | चातुर्मासिक वार्षिक (सांवत्सरिक) 1008 250+2 नवकार के (252) चंदेसु निम्मलयरा तक लोगस्स के 6 श्लोक अर्थात् 6 पूर्ण गाथा 338 इक्कवीसवाँ कायोत्सर्ग प्रमाण द्वार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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