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________________ निम्मलयरा तक 40 लोगस्स +1 नवकार का कायोत्सर्ग । I देवसिय पायच्छित विसोहणत्थं कायोत्सर्ग का प्रमाण 100 श्वासोश्वास प्रमाण यानि चंदेसु निम्मलयरा तक 4 लोगस्स का कायोत्सर्ग । प्रबोध टीका भाग-3, पेज 599 J खुद्दोवद्दव उड्डावण निमित्त कायोत्सर्ग का प्रमाण - 108 श्वासोश्वास प्रमाण यानि सागरवर गंभीरा तक 4 लोगस्स का कायोत्सर्ग। K श्री स्तम्भन पार्श्वनाथ आराधनार्थ कायोत्सर्ग का प्रमाण 112 श्वासोश्वास प्रमाण अर्थात् सम्पूर्ण 4 लोगस्स का कायोत्सर्ग । L दुःखक्षय तथा कर्मक्षय हेतु कायोत्सर्ग का प्रमाण_112 श्वासोश्वास प्रमाण यानि सम्पूर्ण 4 लोगस्स का कायोत्सर्ग । प्रबोध टीका भाग-3, पेज 600 M क्षुद्रोपद्रव ओहडाविणत्थं कायोत्सर्ग का प्रमाण (छींक का . कायोत्सर्ग) 108 श्वासोश्वास प्रमाण यानि सागर वर गंभीर तक 4 लोगस्स का कायोत्सर्ग । प्रबोध टीका भाग-3,पेज 628 प्र.1256 देवसिय प्रतिक्रमण में चारित्राचार की शुद्धि हेतु दो लोगस्स का कायोत्सर्ग किया जाता है, फिर राइय प्रतिक्रमण में चारित्राचार शुद्धि हेतु एक लोगस्स का कायोत्सर्ग क्यों ? उ. रात्रि के समय गमनागमन की क्रिया दिवस की अपेक्षा कम होती है, इसलिए चारित्राचार का अतिचार कम लगता है । अतः एक लोगस्स ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 337 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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