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________________ 1. राइय प्रतिक्रमण में 25 श्वासोश्वास प्रमाण यानि चंदेसु निम्मलयरा तक 1 लोगस्स का कायोत्सर्ग । 2. देवसिय प्रतिक्रमण में 50 श्वासोश्वास प्रमाण अर्थात् 2 लोगस्स का . ___ कायोत्सर्ग चंदेसु निम्मलयरा तक । ___ आवश्यक नियुक्ति गाथा 1530, चै.महाभाष्य गाथा 473 F महावीर स्वामीकृत छम्मासी तप चितवन कायोत्सर्ग का प्रमाण1. खरतरगच्छ परम्परा में तप चितवन नही आता है तब 150 श्वासोश्वास प्रमाण यानि चंदेसु निम्मलयरा तक 6 लोगस्स का कायोत्सर्ग । 2. तपागच्छ परम्परा में तप चितवन नही आता है तब 16 नवकार का .. कायोत्सर्ग किया जाता है, लोगस्स का नही । ____G श्रुतदेवता, भुवनदेवता व क्षेत्रदेवता के कायोत्सर्ग का प्रमाण 8 श्वासोश्वास प्रमाण अर्थात् 1 नवकार का कायोत्सर्ग । H मूलगुण उत्तरगुण विशुद्धि निमित्त कायोत्सर्ग का प्रमाण सायसयं गोसि उद्धं, तिन्नेव सया हवंति पक्खम्मि । पंच य चाउम्मासे, अट्ठसहस्सं च वरिसम्मि ॥ चै. महाभाष्य गाथा 473, आवश्यक नियुक्ति गाथा 1530 1. पाक्षिक प्रतिक्रमण में 300 श्वासोश्वास प्रमाण अर्थात् चंदेसु निम्मलयरा तक 12 लोगस्स का कायोत्सर्ग । 2. चौमासी प्रतिक्रमण में 500 श्वासोश्वास प्रमाण अर्थात् चंदेसु निम्मलयरा तक 20 लोगस्स का कायोत्सर्ग । 3. संवत्सरी प्रतिक्रमण में 1008 श्वासोश्वास प्रमाण यानि चंदेसु 336 इक्कवीसवाँ कायोत्सर्ग प्रमाण द्वार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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