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________________ = (?) श्लोक = 340 = 125 × 4 = 500 चरण चरण 500 4 = प. सा. द्वार 3, गाथा 183-185 प्र.1259 विजयोदयावृत्ति में कायोत्सर्ग का ध्येय, परिमाण और कालमान क्या बताया है ? Jain Education International उ. क्रम प्रतिक्रमण लोगस्स संख्या श्लोक 1. दैवसिक 25 रात्रिक 3. पाक्षिक 12 4. चातुर्मासिक 16 5. सांवत्सरिक 20 4 - - 125 श्लोक 2 12- 75 100 125 चरण 100 50 300 400 500 उच्छवास 100 मूलाराधना विजयोदयावृत्ति 1116 प्र.1260 दिगम्बर परम्परा में आचार्य अमितगति के अनुसार दैवसिक और रात्रिक प्रतिक्रमण में कितने श्वासोश्वास प्रमाण का ध्यान ( कायोत्सर्ग ) किया जाता है ? दैवसिक प्रतिक्रमण में 108 श्वासोश्वास प्रमाण और रात्रिक प्रतिक्रमण में 54 श्वासोश्वास का ध्यान (कायोत्सर्ग) किया जाता है । 50 अमिगति श्रावकाचार अ.स. 8,68-69 प्र. 1261 आ. अमिगति के अनुसार उपरोक्त दोनों के अतिरिक्त अन्य For Personal & Private Use Only 300 400 500 इक्कवीसवाँ कायोत्सर्ग प्रमाण द्वार www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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