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की रचना करते है, उन्हें गणिपिटक कहते है। प्र.66 श्रुत किसे कहते है ? . उ. तीर्थंकर परमात्मा से सुना गया ज्ञान, श्रुत ज्ञान कहलाता है। चूंकि यह
ज्ञान गुरू परम्परा से सुनकर ही क्रमशः चलता था इसलिए श्रुत (सुय)
कहलाता था। प्र.67 जैन आगमों की रचना कितने प्रकार से हुई है ? उ. दो प्रकार से - 1. कृत 2. नियूंढ । प्र.68 कृत आगम किसे कहते है ? ... उ. जिन आगमों का निर्माण स्वन्तत्र रुप से हुआ है, उन्हें कृत आगम कहते है। प्र.69 कौनसे आगम कृत आगम कहलाते है ? उ. गणधर भगवंत कृत द्वादशांगी की रचना एवं स्थविर कृत उपांग रचना
(निर्माण) कृत आगम है। प्र.70 नियूँढ आगम किसे कहते है ? उ. जिन आगमों की रचना पूर्वो तथा द्वादशांगी से उद्धृत करके हुई है, उन्हें
निएँढ आगम कहते है। निर्मूढ आगम स्थविरों द्वारा संकलित मात्र होते है। प्र.71 नियूँढ आगम कौनसे है ? उ. 1. आचार चूला 2. दशवैकालिक 3. निशीथ 4. दशाश्रुत स्कन्ध 5.
वृहत्कल्प 6. व्यवहार 7. उत्तराध्ययन का परिषह अध्ययन । प्र.72 वर्तमान में 45 आगमों को कितने भागों में विभाजित किया है ? उ. छ: भागों में - 1. अंग आगम 2. उपांग आगम 3. प्रकीर्णक सूत्र 4. छेद
सूत्र 5. मूल सूत्र 6. चूलिका सूत्र । प्र.73 अंग बाह्य सूत्रों को कितने भागों में विभाजित किया गया है ?
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आगमों के भेद-प्रभेद
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