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________________ निरयावलिका 27. कल्पिका 28. कल्पावतंसिका 29. पुष्पिता 30. पुष्प चूलिका 31. वृष्णिदशा । सभी कालिक सूत्र अगमिक सूत्र होते है । प्र. 62 तीर्थंकर परमात्मा के शिष्य द्वारा रचित प्रकीर्णक किस सूत्र के अन्तर्गत आते है ? उ. कालिक सूत्रअन्तर्गत आते है । प्र. 63 उत्कालिक श्रुत किसे कहते है ? उ. जिस सूत्रों का स्वाध्याय चार सन्धिकाल को छोडकर कभी भी किया जा सकता है, वे उत्कालिक श्रुत कहलाते है । प्र. 64 नंदी सूत्रानुसार उत्कालिक श्रुत के कितने भेद है ? उ. - उन्नतीस भेद है 1. दशवैकालिक 2. कल्पाकल्प 3. चुल्लकल्प 4. महाकल्प 5. औपपातिक 6. राजप्रश्नीय 7. जीवाभिंगम 8. प्रज्ञापना 9. महाप्रज्ञापना 10. प्रमादाप्रमाद 11. नंदी 12. अनुयोग द्वार 13. देवेन्द्र स्तव 14. तंदुल वैचारिक 15. चंद्र विद्या 16. सूर्य प्रज्ञप्ति 17. पौरुषी मंडल 18. मंडल प्रदेश 19. विद्याचरण निश्चय 20. गणि विद्या 21. ध्यान विभक्ति 22. मरण विभक्ति 23. आत्म विशुद्धि 24 वीतराग श्रुत 25. संलेखना श्रुत 26. विहारकल्प 27. चरण विधि 28. आतुर प्रत्याख्यान 29. महाप्रत्याख्यान । प्र. 65 गणिपिटक किसे कहते है ? · उ. अंग प्रविष्ट सूत्रों को गणिपिटक कहते है। तीर्थंकर परमात्मा केवल अर्थ रूप जो उपदेश देते है, उन्हें गणधर भगवंत सूत्रबद्ध करके जिस द्वादशांगी चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी Jain Education International For Personal & Private Use Only 19 www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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