________________
प्र.1005 द्रव्य निक्षेप किसे कहते है ? उ. भूतस्य भाविनो वा भावस्य हि कारणं तु यल्लोके । तद् द्रव्यं तत्त्वज्ञः
से चेतनाञ्चेतन कथितम् ॥ जो भूतकालीन और भविष्य कालीन भावों / दशाओं का मूल कारण होता है, वह द्रव्य कहलाता है। भविष्य में होने वाले जिनेश्वर परमात्मा का जीव छद्मस्थ अवस्था में भी 'जिन' कहा जाता है और जिनेश्वर परमात्मा का निष्प्राण देह भी 'जिन'
कहा जाता है । ये दोनों ही 'द्रव्य जिन' है। पंचाध्यायी पूर्वाद्ध प्र.1006 अनुयोग द्वार के अनुसार द्रव्य निक्षेप के प्रकारों के नाम बताइये ? उ. दो प्रकार - 1. आगमत: 2. नो आगमतः । प्र.1007 आगमतः द्रव्य निक्षेप किसे कहते है ? उ. 'जीवादिपदार्थज्ञोऽपि तत्राऽनुपयुक्तः' कोई व्यक्ति जीव विषयक अथवा
अन्य किसी वस्तु का ज्ञाता है, किन्तु वर्तमान में उस उपयोग से रहित ___ है उसे आगमतः द्रव्य-निक्षेप कहते है । प्र.1008 नो आगमतः द्रव्य-निक्षेप किसे कहते है ? .. उ. आगम द्रव्य की आत्मा का उसके शरीर में आक्षेप करके उस जीव के
. शरीर को ही ज्ञाता कहना, नोआगमतः द्रव्य निक्षेप है। प्र.1009 नो आगमतः द्रव्य निक्षेप के प्रकारों के नाम बताइये ? उ. तीन प्रकार है - 1. ज्ञ शरीर, 2. भव्य (भावी) शरीर, 3. तद्व्यतिरिक्त । 1.1010 ज्ञ (ज्ञायिक) शरीर से क्या तात्पर्य है ? उ. जिस शरीर में रहकर आत्मा जानता, देखता था, वह ज्ञ शरीर है। _ जैसे - आवश्यक सूत्र के ज्ञाता की मृत्यु हो जाने के बाद भी पडे हुए
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
265
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org