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________________ पृथक्त्वानुयोग। चतुर्थ वर्गीकरण - आगमों को चार भागों में विभक्त किया - 1. अंग 2. उपांग 3. मूल 4. छेद । प्र.29 वर्तमान में आगमों को कितने भागों में विभाजित (वर्गीकृत ) किया गया है ? उ. छ: भागों में - 1. अंग 2. उपांग 3. प्रकीर्णक (पयन्ना) 4. छेद सूत्र 5. मूल . सूत्र 6. चूलिका। प्र.30 दिगम्बर परम्परा में आगमों को कितने भागों में विभक्त किया गया उ. चार भागों में - 1. प्रथमानुयोग 2. चरणानुयोग 3. करणानुयोग (गणितानुयोग) 4. द्रव्यानुयोग। 1. प्रथमानुयोग - पुराण-पुरुष, महापुरुषों, तीर्थंकर परमात्मा, चक्रवर्ती आदि का जीवन दर्शन जिनमें विवेचित होता है, वह प्रथमानुयोग आगम कहलाता है। 2. चरणानुयोग - जिन आगमों में मुनि और श्रावक के आचरण का । वर्णन होता है, वह चरणानुयोग आगम है । 3. करणानुयोग - जिसमें लोक की व्यवस्थता, गणित, कर्म सिद्धान्त (गणितानुयोग) आदि का वर्णन हो, वह करणानुयोग आगम है । 4. द्रव्यानुयोग - जिसमें तत्त्व, द्रव्य पदार्थों का वर्णन हो । प्र.31 पूर्व किसे कहते है ? उ. तीर्थंकर परमात्मा तीर्थ प्रवर्तन के काल में सर्वप्रथम पूर्वगत के अर्थ का निरूपण करते है । उस अर्थ के आधार पर निर्मित शास्त्र पूर्व कहलाते ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ आगमों के भेद-प्रभेद 12 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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