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________________ आगमों के भेद - प्रभेद प्र.26 आगम (सूत्र ) किसे कहते है ? उ. आप्त वचन से उत्पन्न अर्थ (पदार्थ) ज्ञान, आगम कहलाता है अर्थात् अरिहंत परमात्मा अर्थ रुपी वाणी का प्रवचन करते है तथा शासन हितार्थ गणधर भगवंत उन्हें सुत्रबद्ध करते है, उसे आगम (सूत्र) कहते है । प्र.27 आगम कितने है ? उ. पूर्व में चौरासी आगम थे, पर काल के प्रभाव से वर्तमान में केवल 45 आगम ही उपलब्ध है। प्र.28 आगमों के वर्गीकरण के प्रकार बताइये ? उ. प्रथम वर्गीकरण - समवायांग के अनुसार आगम दो भागों में विभक्त थे - 1. पूर्व (चौदह) 2. अंग (बारह) । द्वितीय वर्गीकरण - देवर्द्धिक्षमाश्रमण के समय नंदी सूत्रानुसार आगमों को दो भागों में विभाजित किया - 1. अंग प्रविष्ट 2. अंग बाह्य । तृतीय वर्गीकरण - आर्यरक्षितसूरि ने अनुयोग के आधार पर आगमों को चार भागों में विभाजित किया - .. 1. चरणकरणानुयोग - कालिक सूत्र, महाकल्प, छेद सूत्र आदि । _2. धर्मकथानुयोग - ऋषिभाषित, उत्तराध्ययन आदि । 3. गणितानुयोग - सूर्य प्रज्ञप्ति आदि । 4. द्रव्यानुयोग - दृष्टिवाद आदि । विषय की साम्यता के अनुसार चार भाग, परन्तु व्याख्या साहित्य की अपेक्षा से आगमों को दो विभाग में बांटा - 1. अपथक्त्वानुयोग 2. ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 11 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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