SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हेतु 5 संग्रह संपदा, मुख्य संपदा है । प्र.845 इरियावहिया सूत्र की शेष तीन संपदा को कौनसी संपदा कहते है ? उ. शेष तीन संपदा-जीव, विराधना और प्रतिक्रमण संपदा, को चुलिका संपदा कहते है। प्र.846 तस्स उत्तरी सूत्र का गौण नाम ‘उत्तरी करण' सूत्र क्यों रखा गया ? उ. इरियावहिया सूत्र से जो आलोचना प्रतिक्रमण किया है, उसी की विशेष शुद्धि के लिए कायोत्सर्ग ध्यान रुप कार्य 'उत्तरी करण' कहलाता है इसलिए इसका नाम ‘उत्तरीकरण' रखा गया। . प्र.847 कौनसे पद वाली संपदा अभ्युपगम संपदा कहलाती है ? उ. 'इच्छामि पडिक्कमिउं' इन दो आद्य पदों वाली अभ्युपगम संपदा कहलाती है। प्र.848 निमित संपदा में कितने व कौनसे पद होते है ? उ. दो पद-इरियावहियाए, विराहणाए होते है। प्र.849 'गमणागमणे' पद कौनसी संपदा में आता है ? उ. 'गमणागमणे' पद ओघ हेतु नामक तीसरी संपदा में आता है। प्र.850 इतर हेतु नामक चौथी संपदा में कितने पद है ? उ. चौथी संपदा में चार पद -पाणक्कमणे, बीयक्कमणे, हरियक्कमणे, ओसा उत्तिंग-पणग-दग-मट्टी-मक्कडा संताणा संकमणे है। प्र.851 पंचम संपदा का सहेतुक नाम बताते हुए उसके सर्व पद संख्या और पदों के नाम बताइये ? उ. सहेतुक विशिष्ट नाम 'संग्रह संपदा' है और 'जे मे जीवा विराहिया' नामक एक ही पद है अर्थात् यह पद तुल्य संपदा है। ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 222 दसवाँ संपदा द्वार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy