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11260 को मन, वचन व काया से गुणा करने पर - 1260x3 = 33780 होते है।
33780 को करना, कराना और अनुमोदन करने से गुणा करने पर 33780 x 3 = 101340 होते है। 101340 को अतीत, अनागत व वर्तमान काल से गुणा करने पर . . 101340x3 = 304020 होते है। 304020 को अरिहंत-सिद्ध-साधु-देव-गुरू-और आत्मा की साक्षी से ; इन छः से गुणा करने पर 304020 x 6 = 1824120 भांगे होते हे । इस प्रकार सब जीवों के साथ सब प्रकार से (1824120) समस्त जीवों से मिच्छामि . दुक्कडं देकर खमत खामणा की जाती है।
विचारसत्तरी प्रकरण की टीकानुसार उपर्युक्त 1824120 भांगों में जानते-अनजानते इन दो पदों द्वारा गुणा करने पर 3648240 भांगे होते है। प्र.749 मिच्छामि दुक्कडं पद के प्रत्येक अक्षर की व्याख्या कीजिए ? उ. मि-च्छा-मि-दु-क-डं पद में छः अक्षर है।
मि - यानि कायिक और मानसिक अभिमान को छोडकर, नम्र बनकर । च्छा - असंयम रूप दोष को ढककर । मि - चारित्र की मर्यादा में स्थिर रहकर। . दु - सावद्यकारी आत्मा की निन्दा करता हूँ । क्क - किये हुए सावध कर्म को। डं - उपशम द्वारा त्यागता हूँ। अर्थात् द्रव्य एवं भाव से नम्र तथा चारित्रमर्यादा में स्थित होकर मैं सावध क्रियाकारी आत्मा की निन्दा करता हूँ और किये हुए दुष्कृत (पाप) को उपशम भाव से हटाता हूँ।
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आठवाँ वर्ण द्वार
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