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________________ उ . किसी भी प्रकार से साध्वाचार पालन में आंशिक भी, दोष लगने पर ईर्यापिथिक प्रतिक्रमण से प्रायश्चित किया जाता है। प्र.748 इरियावहि पडिक्कमण करने से मिच्छामि दुक्कडं के कुल कितने भांगे होते है ? मिच्छामि दुक्कडं के कुल अठारह लाख चौबीस हजार एक सौ बीस भांगे होते है । वे इस प्रकार : जीव के कुल 563 भेदएकन्द्रिय (स्थावर) = 22भेद बेइन्द्रिय । तेइन्द्रिय विकलेन्द्रिय चउरिन्द्रिय नरंक = 14 भेद = 198 भेद मनुष्य | पंचेन्द्रिय = 303 भेद तिर्यंच = 20 भेद कुल = 563 ... जीव के 563 भेद इसे "अभिहया से जीविआओ ववरोविआ" तक .. दस पदों (इन दस प्रकार से जीव को पीड़ा पहुँचायी जा सकती हैं इसलिए) से गुणा करने पर563x 10 = 5630 होते है। इनको राग व द्वेष से गुणा करने पर 5630x 2 = 11260 होते है। ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी. 201 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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