________________
चाहिए ।
प्र. 686 नमस्कार मंत्र में 'हवइ' के स्थान पर 'होइ' क्यों नही कहा गया ? क्योंकि होइ कहने से अर्थ में भी अन्तर ( भेद ) नही आता है ? उ. आपका कथन सत्य है फिर भी 'हवइ' पाठ ही उचित है। क्योंकि तथाविध कार्य सिद्धि आदि हेतु की जाने वाली 'नमस्कार' की आराधना में 32 दल वाले कमल की रचना की जाती है और एक-एक कमल पंखुडी पर एकएक अक्षर की स्थापना की जाती है। यदि 'होइ' ऐसा पाठ हो तो 32 अक्षर, होने से कमल पंखुडिओं पर ही वे पूर्ण हो जायेगें और कमल की नाभि का भाग अक्षर शुन्य (अक्षर रहित) रह जायेगा | मंत्र साधना में ऐसी रिक्तता लाभ प्रदायक नही होती है । यदि यन्त्रादि में भी एक अक्षर या मात्रा भी न्यूनाधिक हो जाय तो इच्छित फल की प्राप्ति नही हो सकती। अत: 'हवइ' पाठ ही उचित है ताकि तीन चुलिका का एक-एक अक्षर 32 पंखुडियों पर स्थापित हो जायेगा और एक नाभि प्रदेश में स्थापित हो जायेगा । इसी भाव की सूचक पूर्वाचार्यों की गाथा है । जिनेश्वर परमात्मा के शासन में भी 68 अक्षरों वाला नमस्कार मंत्र सर्व मंत्रों में प्रधान है । प्र. 687 नवकार महामंत्र के पांच पदों में कितने अक्षर
1
1
कुल
है ?
उ.
पांच पदों में 35 सर्वाक्षर है ।
प्र.688 नवकार महामंत्र के प्रथम पांच पदों में व्यंजन सहित कितने लघु
व गुरू अक्षर है ?
उ.
इसमें 32 लघु अक्षर व 3 गुरू अक्षर है ।
प्र. 689 नवकार महामंत्र की चूलिका में कितने लघु अक्षर है ?
उ.
महामंत्र की चूलिका में 29 लघु अक्षर है ।
188
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
आठवाँ वर्ण द्वार
www.jainelibrary.org