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________________ प्र.680 नवकार मंत्र सूत्र का गौण नाम क्या है ? उ. गौण नाम 'पंच मंगल महाश्रुत स्कन्ध व पंच परमेष्ठी सूत्र' है प्र.681 पंच मंगल महाश्रुत स्कन्ध नाम क्यों दिया गया ? उ. अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु इन मंगल भूत पांचों परमेष्ठियों को इस सूत्र द्वारा नमस्कार किया गया है। इसके स्मरण व जाप से विघ्न दूर होते है व अचिन्त्य शक्तियाँ प्राप्त होती है । प्र.682 नवकार मंत्र में कितने लघु, गुरू एवं सर्वाक्षर है ? उ. नवकार मंत्र में 61 लघु अक्षर, 7 गुरू अक्षर एवं 68 सर्वाक्षर है । प्र.683 नवकार मंत्र के अक्षरों के सम्बन्ध में क्या मतभेद है ? उ. 'महानिशीथ' के अनुसार नवकार मंत्र में 68 सर्वाक्षर होते है, जबकि कुछ गच्छाचार्यों के अनुसार नवकार मंत्र में 67 सर्वाक्षर होते है । प्र.684 सडसट (67) अक्षर की मान्यता वाले अपने मत की पुष्टि कैसे करते है ? उ. अनुष्टुप् छंद के प्रत्येक पाद में आठ अक्षर होते है, जबकि नवकार मंत्र के चौथे पाद "पढमं हवइ मंगलं" में नव अक्षर है । इस छंद दोष के निवारणार्थ आचार्य भगवंत 'हवइ' के स्थान पर 'होइ' पद को स्वीकार कर के अपनी 67 अक्षर की मान्यता की पुष्टि करते है । प्र. 685 अनुष्टुप् छंद के प्रत्येक पाद में 8 अक्षर ही होते है तो फिर पढमं हवइ मंगलं नामक पाद में 9 अक्षर क्यों ? उ. महाकवियों की रचना में भी बहुत बार 9 अक्षर, एक पाद में देखने को मिलते है । फिर यह नवकार मंत्र तो आर्ष ऋषि महात्माओं द्वारा रचित है इसलिए इस पर किसी प्रकार का, शंका, संदेह या आश्चर्य नहीं करना ++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 187 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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