________________
0 IN
प्रत्यक्ष फल
प्रशस्त भाव एवं दीर्घकाल सतत सादर | सेवन से श्रद्धा वीर्य-स्मृति-समाधि प्रज्ञा की वृद्धि । संसार सागर पार करने की नौका,
| 10.
महात्म्य, रहस्य
रागादि-प्रशमन का वर्तन ।।
11. उपदेश प्रभाव
प्रणिधान का उपदेश बोधजनक हृदयानन्दकारी, अखण्डित भाव का | निर्वाहक एवं मार्ग गमन का प्रेरक ।
++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 154
दशम प्रणिधान त्रिक
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org