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________________ प्र.465 परिकर में अष्ट प्रातिहार्य के प्रतीक बताइये ? उ. 1. परिकर के ऊपरी भाग में अर्ध-वर्तुलाकार एक पत्ते का आकार दिखाई देता है, वह अशोक वृक्ष का प्रतीक है । 2. परमात्मा के आस-पास पुष्प माला लिये खडे आकृति वाले देव, सुरपुष्प वृष्टि का प्रतीक है । 3. एक तरफ पीपाडी अथवा शंख जैसे वार्जित्र हाथों में लिए खड़े देव, दिव्य ध्वनि का प्रतीक है । 4. परिकर में नगारा अथवा ढोलक जैसे वार्जित्र लिए खड़े देव, देव दुंदुभि का प्रतीक है । 5. हाथों में चामर लिए खड़े देव, चामर प्रातिहार्य का प्रतीक है । 6. परमात्मा के मुख के पीछे गोलाकार आकृति, भामंडल का प्रतीक है। परमात्मा के उपर तीन छत्र, छत्रत्रय प्रातिहार्य का प्रतीक है । 8. परमात्मा के नीचे सिंह मुखाकृति जैसी रचना, स्वर्ण सिंहासन प्रातिहार्य का प्रतीक जानना चाहिए । उपरोक्त अष्ट प्रातिहार्य की कल्पना करके ध्यान के माध्यम से परमात्मा की पदस्थ अवस्था का चिंतन करना चाहिए । प्र.466 परिकर के अभाव में परमात्मा की पदस्थ अवस्था की कल्पना कैसे करें ? 7. उ. सिंहासन समान पबासन पर विराजित परमात्मा को देखकर परमात्मा की पदस्थ अवस्था (केवली अवस्था) का चिंतन करें । प्र.467 अष्ट प्रातिहार्य का नामोल्लेख कीजिए ? उ. 1. अशोक वृक्ष 2. सुर पुष्पवृष्टि 3. दिव्यध्वनि 4. चामर युगल 5. स्वर्ण ++ चैत्यवंदन. भाष्य प्रश्नोत्तरी . Jain Education International For Personal & Private Use Only 121 www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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