________________
किया जाता है। प्र.418 पूजा किस क्रम से करनी चाहिए ? उ. सर्वप्रथम मूलनायक परमात्मा तत्पश्चात् क्रमशः अन्य परमात्मा, सिद्धचक्र
जी, गणधर भगवंत, गुरू भगवंत और अंत में शासन देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए और यदि मूलनायक परमात्मा की प्रक्षाल बाकी हो तो अन्य परमात्मा की पूजा करने से पूर्व थोडा सा चंदन केसरं मूलनायक परमात्मा के बहुमानार्थ अलग से अन्य कटोरी में रखकर शेष से अन्य समस्त
परमात्मादि की क्रमशः पूजा कर लेनी चाहिए । प्र.419 दादा गुरूदेव या अन्य गुरू भगवंतों की पूजा कितने अंगों पर और
कौनसी अंगुली से की जाती है ? उ. नव अंगों पर (नवांगी पूजा) और अनामिका अंगुली से की जाती है। प्र.420 पति-पत्नी एक ही कटोरी से परमात्मा की पूजा कर सकते है ? उ. नहीं कर सकते है, क्योंकि मुल गंभारे में स्त्री-पुरुष का स्पर्श वर्ण्य है। प्र.421 जिनमंदिर खोलने और मंगल करने का समय बताइये ? उ. आगमकारकों के अनुसार सूर्योदय के समय जिनमंदिर खोलना और
सूर्यास्त के समय मंगल कर देना चाहिए । प्र.422 जिनबिम्ब का प्रक्षाल कब करना चाहिए ? उ. सूर्य के प्रकाश से मूल गंभारे में छोटे-छोटे जीव-जन्तु जब स्पष्ट दिखाई
देने लगे तब बिम्ब का प्रक्षाल करना चाहिए । प्र.423 पूजा से संबन्धित कितनी शुद्धियों का पालन करना चाहिए ? उ. सात शुद्धियों का - 1. अंग शुद्धि 2. वस्त्र शुद्धि 3. मन शुद्धि 4. भूमि
+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 102
चतुर्थ पूजा त्रिक
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org