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________________ उ. 1. स्वस्तिक 2. श्री वत्स 3. कुंभ 4. भद्रासन 5. नंद्यावर्त 6. मीन युगल 7. दर्पण 8. वर्धमान ! प्र.413 सिद्धचक्र जी की पूजा के बाद उसी चंदन केसर से क्या परमात्मा की पूजा कर सकते है ? उ. हाँ कर सकते है । क्योंकि नवपदजी में आचार्य, उपाध्याय, साधु आदि किसी व्यक्ति विशेष की पूजा नहीं की जाती है बल्कि उनके गुण रुप की पूजा की जाती है। प्र.414 गौतम स्वामी आदि गणधर भगवंत की प्रतिमा की पूजा के बाद उसी चंदन से तीर्थंकर परमात्मा की पूजा कर सकते है ? उ. गणधर भगवंत की प्रतिमा यदि सिद्ध मुद्रा (पर्यंकासन) में हो तो उसी चंदन से अरिहंत परमात्मा की पूजा कर सकते है, किन्तु गणधर भगवंत की प्रतिमा यदि गुरू मुद्रा में हो तो उसी चंदन से तीर्थंकर परमात्मा की पूजा नही कर सकते है। HA15. अधिष्ठायक देवों की पूजा कैसे की जाती है ? 3. अंगुठे के द्वारा मात्र भाल पर तिलक लगाकर की जाती है । प्र.416 यक्ष-यक्षिणी की पूजा के बाद उसी द्रव्य से परमात्मा की पूजा कर सकते है ? ऊ.. नहीं कर सकते है। प्र.AIT शासन देवी-देवताओं के भाल पर तिलक ही क्यों किया जाता है ? 3. सम्यक्त्वधारी देवी-देवता परमात्म भक्त होने के कारण वे हमारे साधर्मिक बन्धु होते है और साधर्मिक बन्धु का सदैव तिलक लगाकर बहुमान ही ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी . 101 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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