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१. अंग्रेजी भाषा २. गुजराती
३. हिन्दी १. अंग्रेजी भाषान्तर
हर्मन जैकोबी ने आचारांग, सूत्रकृतांग, उत्तराध्ययन और कल्पसूत्र पर जो भाषान्तर/अनुवाद प्रस्तुत किये,उससे देश-विदेश के विद्वानों को आगमों की वास्तविकता का बोध हो सका। इनके प्रस्तुतिकरण से आगमों की सांस्कृतिक धरोहर का ज्ञान हो सका। जर्मन के इस विद्वान ने अन्य कई जैन ग्रन्थों का अंग्रेजी अनुवाद या उसकी अंग्रेजी भूमिका लिखी जिससे तत्त्वज्ञान की वास्तविकता का बोध हो सका।
दशवैकालिक सूत्र पर भारतीय विद्वान अभ्यंकर ने अंग्रेजी अनुवाद किया। उन्होंने उपासक-दशांक का भी अंग्रेजी अनुवाद बहुत ही सरल ढंग से प्रस्तुत किया। अन्तकृतदशा, अनुत्तरोपपातिकदशा, विपाक श्रुत और निरयावली का भी अंग्रेजी अनुवाद है। आगमों के अतिरिक्त भी अन्य ग्रन्थों पर अंग्रेजी अनुवाद मिलता है। गुजराती अनुवाद
___ आगमवेत्ता पण्डित बेचरदास ने गुजराती में आगमों का संपादन एवं संशोधन प्रस्तुत किया है। इस प्रस्तुतीकरण में उन्होंने आगमों की भाषा पर पर्याप्त प्रकाश डाला है, जो अपने आप में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। आपने भगवती सूत्र, कल्प-सूत्र, राज-प्रश्नीय सूत्र, ज्ञाताधर्म सूत्र और उपासंग-दशा सूत्र का गुजराती अनुवाद प्रस्तुत किया है।
जीवाभाई पटेल नामक विद्वान गुजराती अनुवाद के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने भी आगमों के गुजराती अनुवाद प्रस्तुत किये हैं। पण्डित दलसुख भाई मालवणिया का स्थानांग और समवायांग का गुजराती अनुवाद दार्शनिक विश्लेषण से युक्त है। जिसमें कई महत्त्वपूर्ण टिप्पण भाषात्मक जगत में विशिष्ट स्थान रखते हैं। पण्डित सौभाग्य मुनि संतबाल के आचारांग, दशवैकालिक और उत्तराध्ययन के गुजराती अनुवाद भी लोकप्रिय हैं। इन अनुवादों में विशेष टिप्पण शब्दों के सौन्दर्य के साथ शब्दों के रहस्य को प्रतिपादित करते हैं। इन ग्रन्थों की प्रारम्भिक भूमिका आगमों के तुलनात्मक अध्ययन को प्रस्तुत करती है।
प्रेमं जिनागम प्रकाशन समिति घाटकोपर, मुम्बई से आगम के मूल एवं गुजराती अनुवाद सहित विवेचन भी महत्त्वपूर्ण हैं। श्रमणी विद्यापीठ की साध्वियों ने भी गुजराती में कुछ अनुवाद प्रस्तुत किये हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कई गुजराती अनुवादों का उल्लेख मिलता है। हिन्दी भाषान्तर
- आचार्य अमोलक ऋषि ने प्राकृत के ३२ आगम ग्रन्थों का अनुवाद प्रस्तुत करके हिन्दी जगत में महत्त्वपूर्ण एवं गौरवमय स्थान बनाया है। आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन
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