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________________ आगम साहित्य का मौलिक रूप आगम साहित्य की मूलतः दो प्रचलित परम्पराएँ हैं - ( १ ) शौरसेनी आगम और (२) अर्धमागधी आगम । अनुयोग दृष्टि से आगम अनुयोग सूत्र और अर्थ के विषय को प्रतिपादित करने वाला एक विशेष अध्ययन है जिसमें विषय के अनुसार विषय-वस्तु का प्रतिपादन किया जाता है अनुयोग के चार प्रकार हैं I १. चरणकरणानुयोग २. धर्मकथानुयोग ३. गणितानुयोग ४. द्रव्यानुयोग । चरणकरणानुयोग में श्रमणों के आचार-विचार की प्ररूपणा है । धर्मकथानुयोग में चरित्र, दृष्टान्त एवं कथा आदि का निरूपण किया गया है। गणितानुयोग में गणित एवं ज्योतिष आदि विषयों का निरूपण और द्रव्यानुयोग में आध्यात्मिक विषय सम्बन्धित ज्ञान की चर्चा है 1 अर्हतप्रणीत वचन दो तरह के हैं (१) अङ्ग प्रविष्ट और (२) अङ्ग बाह्य । १२ अङ्ग आदि ग्रन्थों का विभाजन इन्हीं दो रूपों में हुआ है । अङ्ग प्रविष्ट में बारह अङ्गों को स्थान दिया है। अङ्ग बाह्य में (१) उपांग (२) छेद सूत्र (३) मूल सूत्र ( ४ ) प्रकीर्णक ये भाग हैं। अङ्ग प्रविष्ट को पुरुष के अङ्ग की तरह स्थान दिया गया है, जैसे - मनुष्य के दो पैर, दो जंघाएँ, दो उरू, दो गूत्रार्ध, दो बाहु, ग्रीर्वा और सिर, ये बारह ही होते हैं, वैसे ही ऋतु पुरुष के आचारांग आदि बारह ही अङ्ग माने गये हैं। करण, नासिका, चक्षु, हाथ आदि उपांग हैं। उपांग साहित्य का विवेचन तत्त्वार्थ भाष्य में किया गया है । छेद सूत्रों का भी उल्लेख है । अङ्ग एवं उपांग आदि सूत्रों के विवेचन के विवाद में न पड़ कर वर्तमान में प्रचलित आगम साहित्य का संक्षिप्त परिचय ही यहाँ दिया जा रहा है। आगमों का वर्गीकरण आगम साहित्य ग्यारह अङ्ग ग्रन्थ - १. आचारांग, २. सूत्रकृतांग, ३. स्थानांग, ४. समवायांग, ५. भगवती, ६. ज्ञातृधर्मकथा, ७. उपासकदशा, ८. अन्तकृद्दशा, ९. अनुत्तरोपपातिक, १०. प्रश्नव्याकरण और ११. विपाकसूत्र । बारह उपांग- १. औपपातिक, २. राजप्रश्नीय, ३. जीवाभिगम, ४. प्रज्ञापना, ५ . जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, ६ . सूर्यप्रज्ञप्ति, ७. चन्द्रप्रज्ञप्ति, ८. निरयावलिया, ९. कल्पवंतसिका, १०. पुष्पिका, ११. पुष्पचूलिका और १२. वृष्णिदशा । मूल सूत्र - १. आवश्यक २. दशवैकालिक ३. उत्तराध्ययन ४. नन्दी ५. अनुयोग द्वार और ६. पिण्डनियुक्ति । आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन ४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004238
Book TitleAcharang Shilank Vrutti Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajshree Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2001
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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