________________ कित्ती सिद्धी माणी रामागाहिणी विसा अ वसीआ। सोदा हरिणी चक्की सारसि कररी सिही अ हंसीआ॥ 137. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 92 138. वही, पृष्ठ 91 139. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 125 140. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 125 141. वही, पृष्ठ 112 142. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 1 143. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 12 144. वही, पृष्ठ 12 000 आचाराङ्ग-शीलाडूवृत्ति : एक अध्ययन 235 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org