________________ 105. आचारांग सूत्र, पृ. 26-27 106. वही, पृष्ठ 37 107. वही, पृष्ठ 52 108. आचारांग सूत्र, पृ. 81 109. आचारांग सूत्र, पृ. 89 110. वही, पृष्ठ 142 111. आचारांग वृत्ति, पृ. 93 112. वही, पृष्ठ 84 113. वही, पृष्ठ 118 114. वही, पृष्ठ 118 115. आचारांग सूत्र, पृ. 166 116. आचारांग सूत्र, पृ. 173 117. वही, पृष्ठ 245 118. वही, पृष्ठ 282 119. वही, पृष्ठ 336, 337 120. वही, पृष्ठ 403 121. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 220 122. वही, पृष्ठ 221 123. वही, पृष्ठ 230 124. आचार्य हेमचन्द्र, प्राकृत व्याकरण आ. 1/177 . क-ग-च-ज-त-द-प-य-वा प्रायो लुक / 8/1/177 125. प्राकृत व्याकरण सूत्र 3/7 126. प्राकृत व्याकरण सूत्र 1/10 127. साहित्य दर्पण 128. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 21 . 129. वही, पृष्ठ 203 130. आचारांग वृत्ति, पृष्ठ 91 131. वही, पृष्ठ 211 132. आचासंग वृत्ति, पृष्ठ 21 133. वही, पृष्ठ 64 134. वही, पृष्ट 208 135. 136. प्राकृत पैंगलम, पृ. 56-57, प्रकाशन-प्राकृत परिषद् वाराणसो सन् 1959 / लच्छी रिद्धी बुद्धी लज्जा विन्जा खमा अ देहीआ। गोरी धाई चुण्ण छाया कती महामाई / 234 आचाराङ्ग-शीलावृत्ति : एक अध्ययन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org