________________ नोट वर्तमानकाल, भविष्यतकाल, विधि एवं आज्ञार्थक में ज्ज और ज्जा प्रत्यय भी होते हैं। जैसे- गछिज्जा (120), जाणिज्ज (3) (विधि/आज्ञा) नोवलिपिज्जासि (वर्तमानकाल 77) परिकहिज्जइ (भवि. 120) परिक्कमिज्जासि (भवि. 121) / 5. भूतकाल में इंसु और ऐसु प्रत्यय का प्रयोग पाया जाता है। जैसे-विहरिंसु, हिं सिं सु (201) / कृदन्त ___ अर्धमागधी में निम्न कृदन्तों के प्रयोगों को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है। जैसे१. वर्तमान कृदन्त (क) न्त–वंहति, वहाविंती, अणुमन्नंती (23) (ख) माण-गवेसमाणा, विहिंसमाणा (22) . 2. सम्बन्ध कृदन्त ता–वियहित्ता (29), हत्ता, छेत्ता, भेत्ता, विलुपित्ता (72) तु-बंधिन्तु (2), मोत्तं (89) टटु–आह१ (180) ऊणं-उइऊणं (132), दट्ठण (51) इय–पहिलेहिए (105) इत्ताणं एत्ताणं च्च च्चा-अभिसमेच्चा (29), णच्चा (50) ईअ/ईय-लद्धीय (45) आय-गहाय (207), निहाय (207) टठा-सभुटठा (52) हेत्वर्थ कृदन्त उं-जीविउं (51), सोउं, मज्जिङ (92) 224 आचाराङ्ग-शीलावृत्ति : एक अध्ययन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org