________________ 4. चतुर्थी विभक्ति के एकवचन मे निम्न प्रत्यय होते हैंस्स-सारस्स (132), मरमाणरस्स (106) / आय-धम्ममायाय (113), परिण्णाय (109) / आते-धम्माते आये-कम्मार्य 5. पञ्चमी विभक्ति के एकवचन और बहुवचन में आतो, आतु प्रत्ययों की बहुलता है। आ. ओ और आउ प्रत्यय भी प्रयुक्त हुए हैं। आतो-धम्मातो, आतु-धम्मातु आओ कम्माओ, आउ मुहाउ (106), णाणाउ (59) / नोट-पञ्चमी एकवचन में हिंतो शब्द का भी प्रयोग हुआ है। जैसे–चरणाहिंतो (59) / सप्तमी विभक्ति के एकवचन में सिं प्रत्यय की बहुलता है। इसके अतिरिक्त स्सि, म्मि और ए प्रत्यय पाये जाते हैं। जैसे-समणे निग्गंथे (115), समयंसि (65), गामंसि (221), उयस्सि तेयस्सि, जसस्सि (243), दंसणंमि (118), तवंमि (119) / 6. तृतीया के बहुवचन में हि, हिं, हिं, प्रत्यय होते हैं,१२५ इन प्रत्ययों में से “हि" और हिं प्रत्ययों की बहुलता है। जैसे—दिढेहिं (120), एएहिं सरीरेहिं (20), तेहि गुणेहि जेहिं (20) / 7. स्त्रीलिंग शब्दों के तृतीया विभक्ति से लेकर सप्तमी विभक्ति के एकवचन पर्यन्त “ए” प्रत्यय की बहुलता है। जैसे-पेहाए (128) / 8. सर्वनाम शब्दों में पुल्लिग आदि की तरह प्रत्यय लगते हैं। जैसे-अस्सि ___ (161), सर्ल (161), तुमंसि (168) / क्रिया और उसकी विशेषताएँ१. वर्तमान काल प्रथम एकवचन में “ति” प्रत्यय होता है। जैसे-भवति (177), अवहरति (81) / 2. वर्तमान काल प्रथम पुरुष एकवचन में इ और ए प्रत्यय भी होते हैं। .. जैसे-पसंसिए (97), समुवेइ (81) / नोट-भविष्यतकाल में भविष्यतकाल के प्रतीक प्रत्यय “स्प” और “हि" के पश्चात् - वर्तमान काल की तरह प्रत्यय लगाकर रूप बनाये जाते हैं। 3. वर्तमान काल उत्तम पुरुष बहुवचन भविष्यतकाल में इस तरह का प्रयोग भी मिलता है। जैसे-आगमिस्सं (112), आगमिसा (119) / 4. विधि एवं आज्ञार्थक में तु और उ प्रथम पुरुष एकवचन में होते हैं। . जैसे-होउ (151) / आचाराङ्ग-शीलाडूवृत्ति : एक अध्ययन 223 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org