________________ A ट-ड ठ-ढ न–ण य-व 두 भ-ह घ-ह ओह (ओग) (81) त-ड आहड (आहत) (187), अभिहड़ (अभिहत) (187) त-ल लताग (219) काह (क्रोध) (18), मेहुण (मैथुन) (8) पढमी (212), पुढवी (245) वाही (69) उवहाण (उपधान) (198) पड़लाई (185) (पटल) कड (कटु) (278) सढसीलो (64), पीढ़ (269) . णरो (51), णाणं (13), नाण (26) / नोट-अर्धमागधी प्राकृत में न का ण एवं न का न भी बना रहता है। नाण (26). प-फ फासुग फासुय (279) उवएस (58), पावमती (64), पिवासा (69) सुहल (सुफल) लोह (लोभ) (8), णहचर (255) यज संजम (संयम) (6), अजोग (अयोग) (6) श, ष, स–स उसम (5) सेसा (5) संयुक्त व्यंजन परिवर्तन यहाँ पर कुछ ही संयुक्त व्यंजन परिवर्तन के उदाहरण दिये जा रहे हैं। क्ष-ह गुणदेही क्ष-ख प्रारंभ में खेयण्ण (119) क्षेत्रज्ञ' क्ष-क्ख लक्खण (279) पक्ख (283) पुत्त (पुत्र) (224) त्त-ट्ट पट्टण (190) सच्च (190) छिन्न (190) द्ध-ज्झ बुज्झ (बुद्ध) (156), सुज्झइ, सुन्झए (198) ध्य-ज्य अज्झयण (198) व्य-व्व् द्रव्य (दवव) (198) द्ध- ढ सड्डा (245), बुड्ढ (249) 220 आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन त्य-च्च न Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org