________________ स्वर परिवर्तन के आगम तथा लोप, ये दो भेद भी होते हैं। इन दोनों भेदों में आदि आगम, आदि लोप, मध्य आगम, मध्य लोप और अन्त्य आगम और अन्त लोप भी होता है। आगम१. आदि स्वरागम इत्थी (100) '2. मध्य स्वरागम चंदमि-सूरिम (115), समिया (23) चरिम (174), मुटुंग (मृदंग) (219) 3. अन्त स्वरागम सरय (शरद), भगवअ (भगवत्) (206) लोप 1. आदि स्वरलोप रण्ण (अरण्य) (179), थी (85) इत्थी 2. मध्य स्वरलोप एवंपि (एवंअपि) (207) सई पि (216) सी उण्ह (89) 3. अन्त स्वरलोप कसा (कसाअ) व्यंजन लोप आदि व्यंजन लोप-थीमि (85) स्त्री, थंभ, थव मध्य- व्यंजन लोप-संकिय खलियं-(१०२) सम्मावाओं (117) सी उण्ह (89), राउल, कुंमारो अन्त व्यंजन लोप जाव, ताव (63) व्यंजन लोप के अन्य प्रकार प्राकृत व्याकरण में क, ग, च, ज, त, द, प, व, य का लोप हो जाता है / 124 लोओ (55) गोच्छओ (गोच्छक) (185) साअर-(सागर) भगवया सुत्तरुई (64), बइगुत्तोहए-(१८२) मणुयाउ (64), राओ (66), रयत्त (रजत) (185) जिअसंजमो (जितसंजमो) (7) हिअकरि-(७४) सुयं (श्रुतं) (8) निसाएणं-(निषादेन) (6), आइमूलं (52) आएस (212) विडल (विदुल) दिअह (दिवस) ओदइ-उवएस (58) कसाओ (कषाय) (64) चिओगो (179) व्यंजन परिवर्तनक का ग लोगसार (6), सोबाग (सोपाग) (6) ख–ह सुह (सुख) मुह (219) आचाराङ्ग-शीलाडूवृत्ति : एक अध्ययन 219 16 F (p N o . 0, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org