________________ 3. जैसे नवीन गर्भ में उत्पन्न हाथी का शरीर कलल अवस्था में द्रव रूप में होता है किन्तु वह सचेतन है उसी तरह द्रव्यात्मक जलकाय को भी सचित्त समझना चाहिए। 07 4. जैसे देवता का शरीर चक्षु द्वारा नहीं दिखने पर भी चेतना वाला समझा जाता है / 108 ___अनुराग के कारण परशुराम ने पिता के नाशक वैरी पर द्वेष के कारण सात बार क्षत्रियों का नाश किया।१०९ स्त्री कथा, भक्त कथा, देश कथा और राज कथा अनावश्यक बातें हैं। जो कि कथा प्रमाद है, इसे नहीं करनी चाहिए। जो संयम की साधिका न होकर वाधिका है / 10 भोगांसक्त गणिका 11 का उदाहरण भी वृत्तिकार ने दिया है। ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती सनतकुमार का उदाहरण भी दिया गया है / 12 उदयसेन राजा के वीरसेन व सूरसेन दो पुत्र हैं। वीरसेन अन्धा है, जो सम्यक्त्व में प्रधान है / 113 भीमसेन, भीम, सत्यभामा, मामा आदि का वर्णन भी बड़ा सुन्दर किया है / 14 आठ स्तम्भों, अदृष्ट दिव्य शक्ति, एकधनी सेठ, एक भिखारी को स्वप्न आया, मथुरा के राजा जितशत्रु, एक बड़ा सरोवर, स्वयंभू-रमण, देवाधिष्ठित पाशों का, एक विशाल स्तम्भ आदि ये दस दृष्टान्तों से मनुष्य भव की दुर्लभता बताई गई है। किसी भिखारी को कहीं से थोड़ा दूध प्राप्त हुआ। दही, घी बनाकर पैसे प्राप्त करूँगा, वह इसी कल्पना में डूबा रहा। इसी प्रकार संसारी प्राणी कल्पनाओं में डूबा रहता है। तिलों में तेल होता है, बालुका में नहीं। गजसुकुमाल की क्षमा का उदारहण दिया गया है सोमिल ब्राह्मण ने जलते हुए अङ्गारे सिर पर डाल दिये। लेकिन वो समता-योग से अटल रहे / 117 ___पाँच प्रकार की लब्धियाँ प्राप्त होती हैं-(१) क्षयोपशमलब्धि,(२) विशुद्धिलब्धि, (3) देशनालब्धि, (4) प्रायोगलब्धि और (5) करणलब्धि / 18 / - अरण्यक श्रावक की निडरता का वर्णन किया गया है। अरण्यक की धर्म-दृढ़ता की प्रशंसा करके और दो कुंडल की जोड़ी भेंट करके देव चला गया / 619. विषय-वासना, बिल्ली, कच्चे नारियल, सूर्य की ओर नेत्र, मेघ गर्जना, फूटी हाँडी, चिन्तामणि रत्न आदि उदाहरण दिये हैं / 120 - नौवां उपधान श्रुतस्कन्ध अध्ययन में महावीर की चर्या, विहार, आसन, तप, आदि दृष्टान्तों से परिपूर्ण हैं। आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन 017 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org