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चाण्डाल
श्वपाक
वैणव
शूद्र पुरुष
ब्राह्मण स्त्री चार अन्य उपजातियाँउग्र पुरुष
क्षत्त स्त्री वैदेह पुरुष
क्षत्त स्त्री = निषाद पुरुष
अम्बष्ठ स्त्री = बुक्कस शूद्र पुरुष
निषाद स्त्री = बुक्कस इन जातियों के अतिरिक्त अन्य कई जातियों का भी उल्लेख आचारांग वृत्ति में हुआ है, जिसमें चाण्डाल, शवर, भील, किरात, ग्राम कंटक, आदि का उल्लेख भी
आता है। चाण्डाल को सोबाक (स्वपाक) शब्द का प्रयोग किया गया है ।६७ कुल परिचय
आचारांग वृत्ति के प्रारम्भ में तीन कुलों का वर्णन है१. पैतृक-कुल, २. ज्ञात-कुल, ३. मातृ-कुल.।
इसी क्रम में वृत्तिकार ने गुरुकुल का उल्लेख किया है।६९ गुरुकुल की व्युत्पत्ति इस प्रकार की है-गुरु के कुल का नाम गुरुकुल है। गुरुकुल अर्थात् गुरु का सान्निध्य एवं उनकी सेवा से युक्त जीवनपर्यन्त गुरु के उपदेशों का जहाँ आचरण किया जाता है, वहाँ गुरुकुल होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि गुरुकुल गुरु के उपदेशों को जहाँ आचरण कराया जाता है, वह गुरुकुल है।" . १. उग्रकुल-आरक्षिक २. योगकुल-राज्ञः पूज्यस्थानीय ३. राजन्य कुल-सखि स्थानीय ४. क्षत्रिय कुल-राष्ट्र कूटादय ५. इक्ष्वाकु कुल ऋषभ स्वाभावंशिक
६. हरिवंश कुल-हरिवशंज अरिष्ठनेमि आदि .. ७. एसिअ कुल-गोष्ठ गोपाल ज्ञाति . ८. वैश्य कुल-वणिज
९. मण्डक कुल-नापित १०. कोठगाकुल-काष्ठतक्षक बढ़ई या सुथार
११. बोकुशालिय कुल-तन्तुवाय .. १२. ग्राम रक्षक कुल आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन
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