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वर्ण-व्यवस्था
ब्राह्मण, क्षत्रिय, विट और शूद्र-इन चार प्रमुख वर्गों का आचारांग वृत्ति में उल्लेख किया है। इसके प्रारम्भिक अध्ययन के प्रथम उद्देशक में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य
और शूद्र इन चार नामों का उल्लेख है ।६३ इसी के अन्तर्गत वृत्तिकार ने क्षत्रिय के दो भेद किये हैं—(१) प्रधान क्षत्रिय और (२) शंकर क्षत्रिय ६४ इसके अनन्तर इसी क्रम में उन्होंने वर्गों के सात भेद और नौ भेद भी किये हैं, जैसे-१. अम्बष्ठ, २. उग्र, ३. निषद, ४. अयोगव, ५. मागध, ६. सूत, ७. क्षत्ता, ८. विदेह, और ९. चाण्डाल ।६५
उक्त चारों वर्गों की जातियों एवं उपजातियों६६ को समझाने के लिये निम्न रेखाचित्र भी प्रस्तुत किया गया हैब्रह्म पुरुष क्षत्रिय पुरुष ब्राह्मण पुरुष शूद्र पुरुष वैश्य पुरुष क्षत्रिय पुरुष वैश्य स्त्री शूद्र स्त्री शूद्र स्त्री वैश्य स्त्री क्षत्रिय स्त्री ब्रह्म स्त्री अम्बष्ठ उग्र निषाद अयोगव - मागध सूत
पारासरोवा शूद्र पुरुष वैश्य पुरुष शूद्र पुरुष क्षत्रिय स्त्री ब्राह्म स्त्री ब्राह्म स्त्री क्षत्रा वैदेह चाण्डाल उपजातियों की अन्य उपजातियों का रेखाचित्र इस प्रकार है- . अग्र पुरुष विदेह पुरुष निषाद पुरुष शूद्र पुरुष क्षता स्त्री क्षता स्त्री अम्बष्ठी स्त्री निषाद स्त्री
शूद्रि स्त्री .. श्वपाक वैणव . बुक्कस कुक्कुरक उपजातियों का क्रमब्राह्मण पुरुष
वैश्य स्त्री
अम्बष्ठ क्षत्रिय पुरुष
उग्र ब्राम्हण पुरुष
शूद्र स्त्री
निषाद/पाराशखा शूद्र पुरुष
वैश्य स्त्री
अयोगवं वैश्य पुरुष
क्षत्रिय स्त्री
मागध क्षत्रिय पुरुष
ब्राह्मण स्त्री शूद्र पुरुष
क्षत्रिय स्त्री
क्षत्ता वैश्य पुरुष
ब्राह्मण स्त्री = वैदेह १८६
आचाराङ्ग-शीलाडूवृत्ति : एक अध्ययन
शूद्र स्त्री
सूत
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