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अन्तर्गत राजा, राजपुत्र, रानी, उनके वंश, परिजन, कुटुम्ब, राजप्रासाद, अन्तःपुर, मंत्री, मंत्रीपुत्र, नगर सेठ, दूत, अस्त्र, शस्त्र, यान, आदि का कुछ न कुछ उल्लेख अवश्य होता है। उसी आधार पर यहाँ निर्देश मात्र ही किया जा रहा है। आचारांग में निम्न शासन प्रणालियों का उल्लेख है
१. अराजक राज्य- शासन प्रणाली से मुक्त राज्य २. गणराज्य- विशुद्ध शासन प्रणाली ३. यौवराज्य-राजा के होते हुए राजपुत्र को राज्य ४. द्वे राज्य-दो राजाओं का शासन ५. वैराज्य-राजा विहीन शासन प्रणाली
६. विरुद्ध राज्य-एक-दूसरे के राज्य में गमनागमन निषिद्ध राजा
___ राजा श्रेणिक, राजा सिद्धार्थ,२ राजा जितशत्रु,३ भीमसेन, सत्यभामा, सिंहसेन, उदयसेन, चन्द्रगुप्त आदि राजाओं के नामों का उल्लेख है। राजपुत्र
राजपुत्र को युवराज कहा जाता है। युवराज ९ का उल्लेख वृत्तिकार ने किया है। जब तक राज्याभिषेक न किया जाए, तब तक वह युवराज कहलाता है। राजा उदयसेन के दो पुत्र वीरसेन और सूरसेन, भीमसेन का पुत्र भीम और सत्यभामा का पुत्र भामा जैसे युवराजों का उल्लेख है। उज्जैनी के राजा जितशत्रु के दो राजपुत्रों का उल्लेख है जिसमें प्रथम पुत्र धमघोष के नाम का उल्लेख करते हुए वृत्तिकार ने कहा है कि उसने संसार की असारता को जानकर वैराग्य धारण कर लिया था। राजमंत्री
__ मंत्री रोहगुप्त के नाम का ही उल्लेख हुआ है। मंत्री को अमात्य भी कहा जाता है। अमात्य लोकिक पुरुष है।५३ महत्तर, अमात्य और कुमार के नामों का निर्देश मात्र ही हुआ है।५४ मंत्री चाणक्य का भी उल्लेख है।५५
१. अरायणी–जहाँ का राजा मर गया है, कोई राजा नहीं है ।
२. जुवरायाणि-जब तक राज्याभिषेक न किया जाये तब तक वह युवराज कहलाता है।
३. दोरज्जाणी-जहाँ एक राज्य के अभिलाषी दो दावेदार हैं, दोनों कटिबद्ध होकर लड़ते हैं, वह द्विराज्य कहलाता है।
४. वेरज्जाणी-शत्रु राजा ने आकर जिस राज्य को हड़प लिया है, वह वैर राज्य है।
आचाराङ्ग-शीलाडूवृत्ति : एक अध्ययन
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