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________________ (२०) इसी तरह शौरसेनी आगम साहित्य पर रइधू, पाण्डे राजमल, पं. बनारसीदास, पं. टोडरमल, जयचन्द्र छावड़ा, दीपचंद कासलीवाल, पं. सदामुखदास, पं. दौलतराम कासलीवाल, पं. ऋषभदास निगोत्या, पं. पार्श्वदास निगोत्या, देवीदास जैसे शताधिक समर्थ विद्वानों ने भी लोकभाषाओं, विशेषकर ढूंढारी, बुंदेली,बघेली (जयपुरी)जैसी अनेक लोकभाषाओं में टीकायें लिखकर उन क्लिष्ट एवं गम्भीर ग्रन्थों को जनसाधारण के स्वाध्याय हेतु उपलब्ध कराया । अर्धमागधी आगम साहित्य पर तो लोक भाषाओं में प्रचुर मात्रा में व्याख्या साहित्य उपलब्ध है । विशेषकर प्राचीन गुजराती में तो कुछ आचार्यों ने भी आगमों पर सरल एवं सुबोध शैली में बालावबोध लिखे । इन लेखकों में मुख्यतः विक्रम सं. की १६वीं सदी के पार्श्वचन्द्रगणि और अट्ठारहवीं सदी के लोकागच्छीय मुनि धर्मसिंह का नाम विशेष उल्लेखनीय है । मुनिधर्मसिंह ने सत्ताईस आगमों पर बालावबोध लिखे । तेरापंथ धर्मसंघ के श्रीमद्जयाचार्य आदि द्वारा भी अनेक आगमों पर लोकभाषा में व्याख्यायें लिखी गई उपलब्ध है, जिनमें से अनेक प्रकाशित है। ये सब व्याख्यायें में आचारशास्त्र, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान आदि विषयों एवं तत्कालीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता विषयक विविध सामग्री से ओतप्रोत हैं । व्याख्या साहित्य के परिप्रेक्ष्य में नियुक्तिकार आ० भद्रबाहु उपलब्ध अर्धमागधी प्राकृत आगम साहित्य पर नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, टीका, विवरण, विवृत्ति, दीपिका, अवचूरि, अवचूर्णी, ब्याख्या, पञ्जिका तथा टिप्पण आदि रूप में विपुल व्याख्या-वाङ्मय का सृजन भी हमारे पूर्वाचार्यों ने किया है। उस विशाल व्याख्या साहित्य में से यहाँ दिगम्बर और श्वेताम्बर इन दोनों जैन परम्पराओं में अद्भुत सामञ्जस्य कराने वाले दो आगम-शास्त्रों मूलाचार (षडावश्यकाधिकार) और आवश्यक नियुक्ति के प्रमुख अंशों का तुलनात्मक अध्ययन यहाँ प्रस्तुत करने का प्रयास किया जा रहा है । अर्धमागधी प्राकृत आगम पर उपलब्ध विशाल व्याख्या साहित्य में पद्यबद्ध नियुक्ति नाम से सबसे प्राचीन व्याख्या शैली है । अत: संक्षिप्त शैली में लिखी गई ये नियुक्तियाँ-भाषा, शैली और विषय की दृष्टि से काफी प्राचीन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004237
Book TitleAavashyak Niryukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Jain, Anekant Jain
PublisherJin Foundation
Publication Year2009
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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