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जैसे यदि पर्यायार्थिक दृष्टि वाला अव्युत्पन्न श्रोता है और वह पर्याय विशेष जानने का इच्छुक है तो उसे प्रकृत विषय की व्युत्पत्ति के द्वारा अप्रकृत विषय के निराकरण करने के लिए निक्षेप का कथन करना चाहिए । यदि द्रव्यार्थिक दृष्टि वाला श्रोता द्रव्य सामान्य को जानने का इच्छुक है तो भी प्रकृत पदार्थ के प्ररूपण के लिए सम्पूर्ण निक्षेप कहने चाहिए।
दूसरे और तीसरे प्रकार के श्रोताओं को यदि सन्देह हो तो उनके सन्देह को दूर करने के लिए अथवा यदि उन्हें विपर्यय ज्ञान हो तो प्रकृत वस्तु के निर्णय के लिए सम्पूर्ण निक्षेपों का कथन किया जाता है ।
___ इस प्रकार किसी भी पदार्थ की प्ररूपणा में निक्षेप पद्धति का बहुत महत्त्व है । इसीलिए धवला टीका में पूर्वोक्त विवेचन के आगे कहा है कि–निक्षेपों के बिना प्ररूपित किया गया सिद्धान्त सम्भव है कि वह वक्ता और श्रोता दोनों को कुमार्ग में ले जावे । इसीलिए निक्षेप का कथन करना चाहिए। क्योंकि विशेष ज्ञान कराने का अभिप्राय होने से नाम, स्थापना आदि निक्षेपों का कथन पुनरुक्त नहीं कहलाता । .
___ मूलाचारगत आवश्यक नियुक्ति के टीकाकार आ० वसुनन्दि कहते हैं"निक्षेपविरहितं शास्त्रं व्याख्यायमानं वक्तुः श्रोतुश्चोत्पथोत्थानं कुर्यात् इति नियुक्ति निक्षेपो वर्ण्यते" (गाथा १७ की टीका पृ० १३) अर्थात् निक्षेप रहित शास्त्र का व्याख्यान यदि किया जाता है तो वह वक्ता और श्रोता दोनों को ही उत्पथ (कुमार्ग) में पतित करा देता है, इसीलिए नियुक्ति में निक्षेप का वर्णन किया जाना आवश्यक है।
वस्तुत: निक्षेप कथन शैली अर्थ-निर्धारण की एक विशिष्ट पद्धति है । अत: शब्द में नियत एवं निश्चित अर्थ का न्यास करना “निक्षेप" है । इसीलिए शब्दों का इतिहास जानने के लिए निक्षेप एक महत्त्वपूर्ण पद्धति है । क्योंकि निक्षेप पूर्वक कथन से हम यह ज्ञान कर सकते हैं कि यह शब्द उस समय किनकिन अर्थों में प्रयुक्त होता था ? इस तरह जहाँ शब्द और उसके अर्थ के मध्य की अनेक विसंगतियों को निक्षेप पद्धति से दूर किया जाता है, वहीं प्रतिपाद्य विषयों के अनेक भेद-प्रभेदों का कथन भी किया जाता है । इससे उन-उन प्रतिपाद्य विषयों का सांगोपांग और सूक्ष्म विवेचन भी सम्भव हुआ है ।
साथ ही तत्कालीन प्रचलित अनेक शब्द और उनके विविध अर्थों के परिज्ञान के साथ ही तत्कालीन संस्कृति, इतिहास, धर्म-दर्शन, सम्प्रदाय और मत-मतान्तरों का अच्छा स्वरूप प्राप्त होता है । इस दृष्टि से निक्षेप एक विशिष्ट
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