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________________ वाले इस 'द्रव्य' शब्द के अनेक पर्यायवाची शब्द उपलब्ध होते हैं । सत्ता, सत् अथवा सत्त्व, सामान्य, द्रव्य, अन्वय, वस्तु, अर्थ और विधि, ये नौ शब्द सामान्य. रूप से एक द्रव्य रूप अर्थ के वाचक हैं।५५ द्रव्य के अर्थ सामान्य, उत्सर्ग और अनुवृत्ति हैं ।५६ परन्तु अधिक प्रचलित अर्थ, द्रव्य, सत् अथवा भाव है। द्रव्य की परिकल्पना का कारण:___हमें यह सहज जिज्ञासा हो सकती है कि द्रव्य की परिकल्पना क्यों की गयी? इसके समाधान में हमें यही तर्क प्राप्त होता है कि सृष्टि की व्याख्या को समझने के लिये 'द्रव्य' शब्द की कल्पना हुई होगी। ‘सृष्टि द्रव्यमय है'; हमारे सामने जड़-चेतन जो कुछ है, वह सब द्रव्य है। ___ अन्य भारतीय दर्शनों में भी 'द्रव्य' शब्द प्रयुक्त हुआ है जिसका विस्तारपूर्वक विवेचन आगे के पृष्ठों में है। जैन दर्शन का द्रव्य ही उपनिषद् का सत् है एवं जैन दर्शन में भी 'सत्' और 'द्रव्य' पर्यायवाची हैं। सांख्य पुरुष-प्रकृति के अर्थ में, चार्वाक भूतचतुष्टय के अर्थ में और न्याय-वैशेषिक परमाणुवाद के अर्थ में 'द्रव्य' शब्द को ग्रहण करते हैं। . भारतीय दार्शनिकों के विभिन्न मतः- . ___विविधता और विशिष्टता से भरपूर यह रंगबिरंगी सृष्टि अनेक दार्शनिकों के चिंतन का विषय रही है। उनके लक्ष्य एवं उद्देश्य में भिन्नता हो सकती है। उनके जैसे तत्त्वज्ञ संत इस सृष्टि की तह में इसलिये जाना चाहते हैं जिससे इसका वास्तविक स्वरूप पहचानकर उसके प्रति विरक्त बनें एवं अन्य को भी निवृत्ति का मार्ग प्ररूपित कर सकें। ____ दार्शनिक मात्र अपनी अन्तर्नदी में उफनती जिज्ञासाओं को समाहित करने हेतु इसे जानना चाहता है । मतों की इस भिन्नता ने जहाँ एक ओर उदारवाद का परिचय दिया, वहीं दूसरी ओर अवधारणाएँ भिन्न-भिन्न बनती गई। सृष्टि के ५५. सत्ता सत्वं सद्वा सामान्यं द्रव्यमन्वयो वस्तु। ___ अर्थो विधिरविशेषा एकार्थवाचका अमी शब्दाः। -पं. ध. पु.-१४३ ५६. द्रव्यं सामान्यमुत्सर्ग अनुवृत्तिरित्यर्थः । - स. सि. १.३३.२४११. १४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004236
Book TitleDravya Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreejiji
PublisherBhaiji Prakashan
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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