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• सांख्य दर्शन में आत्मा । • जीवास्तिकाय के लक्षण । • उपयोग के प्रकार । • ज्ञान के प्रकार । • सहवादी और क्र मवादी विचारधाराएँ। . अनेकात्मवाद। देहपरिमाणात्मवाद। • नित्यता तथा परिणामीअनित्यतावाद। • आत्मकर्तृभोक्तृत्ववाद। जीवों का वर्गीकरण और शुद्धात्मा का स्वरूप। कर्ममुक्त आत्मा। •पारिणामिक भाव। • आत्मा
और भाव - (क) औपशमिक भाव, (ख) क्षायिक भाव, (ग) मिश्र भाव, (घ) औदयिक भाव। • संसारी जीवों का वर्गीकरण-त्रस और स्थावर की अपेक्षा से। • वनस्पति । • वनस्पति के भेद। • त्रस जीवों के भेद । •पंचेन्द्रिय जीवों का वर्गीकरण। • मनुष्य जीवों के प्रकार । नैरयिकों के प्रकार। • देवों के प्रकार। • जीव और शरीर। • आत्मा और चारित्र । •लेश्या और जीव। कर्म और जीव । •जीव और पर्याप्ति । आत्मा और गुणस्थान। .पुण्य, पाप, बन्ध और जीव। .आम्रव, संवर, निर्जरा और जीव । कर्म और आम्रव। • संवर और निर्जरा । • बंध और मोक्ष । • बंध और आस्रव में भेद •मोक्ष का स्वरूप- (क) पूर्व के संस्कार, (ख) कर्म से असंग, (ग) बन्ध-छेद (घ) अग्निशिखावत्, (च) मुक्ति की प्राप्ति के भेद •मुक्ति के साधन, • जीव के अनेक नामों के कारण।
४. अजीव का स्वरूप
. १५६-२३६ • धर्मास्तिकाय का लक्षण। .कारण के प्रकार। धर्मास्तिकाय की उपयोगिता । अर्धास्तिकाय का स्वरूप एवं लक्षण । • अधर्मास्तिकाय की उपयोगिता। धर्मास्तिकाय-अधर्मास्तिकाय के अस्तित्व की सिद्धि । •आकाशस्तिकाय का लक्षण और स्वरूप। चतुष्टयी की अपेक्षा से लोक। .आकाशास्तिकाय के भेद । बौद्ध मत में लोक का विवेचनः (क) नरक लोक (ख) ज्योतिर्लोक (ग) स्वर्ग लोक। वैदिक धर्मानुसार लोक वर्णन: (क) नरक लोक, (ख) ज्योतिर्लोक, (ग) महर्लोक। लोक के भेदप्रभेद संस्थान के प्रकार । लोकालोक का पौवापर्य। • दिक् । न्यायवैशेषिक और आकाश। • सांख्य और आकाश । • अद्वैत-वेदान्त और आकाश । •बौद्धमत और आकाश । • आकाशास्तिकाय की सिद्धि ।
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