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________________ इन/चार भेदों में मुख्य भेद तो स्कन्ध और परमाणु ही हैं।५५ इन स्कन्ध और परमाणु की उत्पत्ति तीन प्रकार से होती है- भेद से, संघात से तथा भेद और संघात दोनों से ।५६ भेदः- अंतरंग और बहिरंग इन दोनों प्रकार के निमित्तों से संहत स्कन्धों के विदारण को भेद कहते हैं। संघात:- भिन्न हुए पदार्थों के बंध होकर एक हो जाने को संघात कहते हैं। भेद-संघात:- दो परमाणुओं के स्कंध से दो प्रदेशवाला स्कंध उत्पन्न होता है। दो प्रदेशवाले स्कंध और अणु के संघात से या तीन अणुओं के संघात से तीन प्रदेशवाला स्कंध उत्पन्न होता है। इस प्रकार संख्यात, असंख्यात, अनंतानंत अणुओं के संघात से उतने-उतने प्रदेशोंवाले स्कंध उत्पन्न होते रहते हैं। इन्हीं संख्यात आदि परमाणु वाले स्कंधों के भेद से दो प्रदेशवाले स्कंध तक होते हैं। इस प्रकार एक समय में होने वाले भेद और संघात इन दोनों से दो प्रदेशवाले आदि स्कंध होते रहते हैं। तात्पर्य यह है कि जब अन्य स्कंध से भेद होता है और अन्य का संघात तब एक साथ भेद और संघात इन दोनों से स्कंध की उत्पत्ति होती है।५७ अणु या परमाणु की उत्पत्ति तो विभाजन से ही या भेद से ही होती है। जो चाक्षुष हैं वे भद-संघात से उत्पन्न होते हैं और जो अचाक्षुष हैं वे संघात से, भेद से और भेद-संघात, तीनों से उत्पन्न होते हैं। चाक्षुष का अर्थ है-चक्षुरिन्द्रिय का विषय। पुद्गल के सूक्ष्म और बादर भाव:.. पुद्गल के सूक्ष्म और बादर की अपेक्षा दो भेद होते हैं। साधारणतः बड़ा कहते हैं स्थूल को तथा सूक्ष्म कहते हैं छोटे को, परन्तु यह सामान्य अवस्था के ५५. त.सू. ५.२५ एवं भगवती २.१०.११ ५६. त.सू. ५.२६ ५७. स.सि. ५.२६ ५७६ 4८. त.सू. 4.२७ . त.सू. ५.२८ . ठाणांग २.२२९ २१७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004236
Book TitleDravya Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreejiji
PublisherBhaiji Prakashan
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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