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________________ अर्थ हैं, अन्यथा कई बार ऐसा होता है कि बड़ा पदार्थ सूक्ष्म हो सकता है और छोटा स्थूल, जैसे खसखस (पोस्ता) का दाना छोटा है और जल की बूंद बड़ी, परन्तु पानी वस्त्र से पार हो जाता है और दाना नहीं । वायु शीशे में से पार नहीं होती पर प्रकाश पार हो सकता है। अतः एक दूसरे में से पार करने की शक्ति को ध्यान में रखकर सूक्ष्म और स्थूल का विश्लेषण करना चाहिये। जो पदार्थ किसी दूसरे पदार्थ को न रोक सके, न किसी से स्वयं रुके अथवा एक-दूसरे में समाकर रह सके या एक दूसरे से पार हो जाय उसे सूक्ष्म कहते हैं तथा जो पदार्थ दूसरे को रोके अथवा दूसरे से रुक जाये और एक-दूसरे में न समा सके, वह स्थूल कहलाता है। इसमें भी तारतम्य होता है। कोई पदार्थ पूर्णतः सूक्ष्म है तो कोई कम स्थूल है। जो किसी से भी किसी प्रकार न रुके, वह पूर्ण सूक्ष्म है । जो हर पदार्थ से रुके वह पूर्ण स्थूल है। अंग्रेजी भाषा में सूक्ष्मता और स्थूलता का अनुमान लगाने के लिए इन्हें तीन विभागों में विभाजित किया है, जैसे Positive degree, Comparative degree and Superlative degree.६१ . पुगल के पर्याय (अवस्थान्तर) :____ शब्द, अंधकार, उद्योत, प्रभा, छाया एवं आतप ये सभी पुद्गल की पर्याय हैं।६२ तत्त्वार्थसूत्र के अनुसार शब्द, बंध, सूक्ष्म, संस्थान, भेद, अंधकार, छाया, तप एवं प्रकाश ये पुद्गल की पर्याय हैं।६३ द्रव्य का परिणमन पर्याय है। इन उपरोक्त पर्यायों में पुद्गल परिणत होता है। शब्दः 'शब्द' का प्रयोग 'ध्वनि' अर्थ में हुआ है। शब्द दो प्रकार के होते हैं(क) भाषात्मक (ख) अभाषात्मक। भाषात्मक शब्द अर्थों को संकेतित करता है, वह दो प्रकार का है- अक्षरकृत और अनक्षर। ६१. जैन दर्शन में पदार्थ विज्ञान ले. जिनेन्द्रवर्णी पृ. १५५ ६२. द्रव्य प्रकाश २०१० एवं उत्तराध्ययन २८.१२ ६३. त.सू. ५.२४ २१८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004236
Book TitleDravya Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreejiji
PublisherBhaiji Prakashan
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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