SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 193
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हो जायेगी। लोक से भिन्न अलोक का होना तो अनिवार्य है, क्योंकि वह . 'अब्राह्मण' की तरह नञ्युक्त सार्थक पद है। जिस प्रकार मछली की गति जल में ही संभव है, जल रहित पृथ्वी पर नहीं, उसी तरह आकाश की उपस्थिति होने पर भी धर्म-अधर्म हों तो ही जीव और पुद्गल की गति और स्थिति हो सकती है।४९ पूर्वपक्ष के रूप में सांख्यमत की शंका को रखते हुए समाधान करते हैं कि यदि आकाश से ही धर्माधर्म का कार्य लिया जाता है तो सत्त्व गुणों से ही प्रसार और लाघव की तरह रजोगुण के शोष और ताप तथा तमोगुण के सादन और आवरण रूप कार्य हो जाना चाहिये। शेषगुणों का मानना निरर्थक है । इसी तरह सभी आत्माओं में एक चैतन्यतत्त्व समान है, तब एक ही आत्मा माननी चाहिये, अनन्त नहीं। ____ बौद्धमत रूप, वेदना, संज्ञा, संस्कार और विज्ञान- ये पाँच स्कन्ध मानते हैं। यदि एक में ही अन्य के धर्मों को माना जाये तो विज्ञान के बिना अन्य स्कन्धों की प्रतीति नहीं होती, अतः एक विज्ञान स्कन्ध ही मानना चाहिए, उसी से सारे कार्य संपन्न हो जायेंगे। शेष स्कन्धों की निवृत्ति होने पर निरावलंबन विज्ञान की भी स्थिति नहीं रहेगी और तब सर्वशून्यता उत्पन्न हो जायेगी। अतः व्यापक होने पर भी आकाश में गति और स्थिति के उपकारक धर्म-अधर्म की योग्यता नहीं मानी जा सकती। ... धर्म और अधर्म चूँकि अमूर्त होने के कारण दृष्टिगत नहीं होते, परन्तु इससे खरविषाण की तरह इनकी अनुपलब्धि नहीं माननी चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में तीर्थंकर, पुण्य, पाप, आदि सभी पदार्थों का अभाव हो जायेगा। साथ ही धमृ और अधर्म की उपलब्धि प्रसिद्ध हैं, क्योंकि तीर्थंकर परमात्मा आदि द्वारा प्रणीत आगमों में धर्म और अधर्म की उपलब्धि होती है। अनुमान से भी गति और स्थिति में साधारण निमित्त के रूप में उपलब्धि होती है।३।। . ४१. तत्त्वार्थराजवार्तिक ५.१७.२०.२२ पृ. ४६२ ४२. वही ५.१७ २३ पृ. ४६३ ।। ४३. त.रा.वा. ५.१७.२८.४६४ - १६७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004236
Book TitleDravya Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreejiji
PublisherBhaiji Prakashan
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy