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________________ - इस संपूर्ण विवेचन को बसु ने अपने शोध यंत्र के द्वारा प्रत्यक्ष किया। उन्होंने एक ऐसे यन्त्र का निर्माण किया जो वनस्पति की सजीवता को अभिव्यक्त करता है। वह यन्त्र पौधों की गतिविधियों को एक करोड़ गुणा बड़ा करके दिखाता था। समय का बोध भी एक सेकण्ड के सहस्रवें भाग तक होता था। पौधों की संपूर्ण क्रिया, प्रतिक्रिया स्वतः अंकित हो जाती थी। इन यन्त्रों से उन्हें स्पष्ट विश्वास हो गया कि वनस्पति और मनुष्यों पर नींद, ताप, वायु और आहार का लगभग समान ही प्रभाव पड़ता है ।२६६ । . बसु ने सिद्ध कर दिया कि सचेतनता, स्पन्दनशीलता, शारीरिक गठन, भोजन, वर्धन, श्वसन, प्रजनन, अनुकूलन, विसर्जन, मरण (Irritability, Movement, Organisation, Food, Growth, Respiration, Resproduction, Adaptation, Excreation and Death) आदि समस्त गुण वनस्पति में भी विद्यमान हैं। ___ वनस्पति में आहार संज्ञा प्रयोगसिद्ध है। तत्क्षण तोड़ गये डंठल सहित सफेद या अन्य गुलाब को लाल पानी में डंठल सहित डुबाकर रखिये। कुछ समय बाद पत्तियों पर लाल रंग स्पष्ट दिखेगा।२६७ प्यासे केले के पौधे को जल मिलते ही पीने लगता है, जिसकी आवाज भी पास बैठा व्यक्ति सुन सकता है । मुरझाये पौधों को मुस्कुराते प्रतिदिन हम देखते वनस्पति प्रकाश से भी प्रभावित होती है। पौधों के तने सदा प्रकाश की ओर मुड़ते जाते हैं तथा उसकी जड़ विरुद्ध दिशा में जमीन में गहराई में बढ़ती जाती है। प्रजनन(Reproduction):- जीवधारी में ही प्रजनन शक्ति पायी जाती है। वनस्पति भी प्रजनन करती है। सेचन क्रिया द्वारा परागकण योनिनली के मार्ग से गर्भागय (Ovary) में पहुंचते हैं। वहाँ प्रत्येक परागकण एक रजकण से जुड़ता है। जितने रजकण होंगे उतने ही बीज बनकर गर्भाशय में पैदा होते हैं। सेचतन २६५. आचारांग १.५.११३ २६६. नवनीत फरवरी १९५७ पृ. ३७ २६७. प्रारंभिक जीव विज्ञान, पृ. १९७ ११४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004236
Book TitleDravya Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreejiji
PublisherBhaiji Prakashan
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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